राजस्थान में कांग्रेस टेंशन में क्यों, राज्यसभा चुनाव की आड़ में ऑपरेशन लोटस तो नहीं?

राजस्थान के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की सेंधमारी से बचाए रखने के लिए कांग्रेस पार्टी और निर्दलीय विधायकों को साधे रखने की हरसंभव कोशिश में जुटी है. हालांकि, कांग्रेस के पास अपने दोनों राज्यसभा प्रत्याशी को जिताने के लिए पर्याप्त विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके बाद भी राजस्थान में कांग्रेस की सियासी टेंशन बनी हुई है, क्योंकि राज्य सरकार को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है.

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CM अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट CM अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2020,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

  • राजस्थान की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुआ दिलचस्प
  • कांग्रेस अपने निर्दलीय विधायकों को साधे रखने में जुटी

राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर 19 जून को होने वाले चुनाव को लेकर जोड़तोड़ शुरू हो गई है. बीजेपी की सेंधमारी से बचाए रखने के लिए कांग्रेस पार्टी और निर्दलीय विधायकों को साधे रखने की हरसंभव कोशिश में जुटी है. हालांकि, कांग्रेस के पास अपने दोनों राज्यसभा प्रत्याशियों को जिताने के लिए पर्याप्त विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके बाद भी राजस्थान में कांग्रेस की सियासी टेंशन बनी हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं राज्यसभा चुनाव के बहाने अशोक गहलोत सरकार के तख्तापलट की कवायद तो नहीं हो रही?

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दरअसल, राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चार प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस ने दो सीटों के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. कांग्रेस के पास अपने 107 विधायक हैं और उसे आरएलडी के एक विधायक, और निर्दलीय 13 विधायकों, बीटीपी और माकपा के विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

विधायकों के आंकड़े के लिहाज से देखें तो कांग्रेस की दोनों राज्यसभा सीटों पर जीत तय है, लेकिन बीजेपी के दूसरे कैंडिडेट के चलते चुनाव दिलचस्प हो गया है. माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव के जरिए बीजेपी की नजर राज्य की सत्ता पर है. मध्य प्रदेश में जिस तरह से बीजेपी सिंधिया के जरिए कमलनाथ सरकार को बेदखल करने में कामयाब रही है, वैसे ही संभावना राजस्थान में देखना चाहती है. इसीलिए कांग्रेस कुछ ज्यादा ही सतर्क नजर आ रही है.

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कांग्रेस के सीनियर नेता राजस्थान में पिछले तीन दिनों से डेरा जमाए हुए हैं. कांग्रेस दिग्गज अब ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन-कौन से विधायक नाराज हैं और उनकी सरकार या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शिकायत क्या हैं? इसीलिए गुरुवार को राज्यसभा चुनाव पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने डिप्टी सीएम सचिन पायलट के करीबी पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह से मुलाकात की, क्योंकि हाल के दिनों में विश्वेन्द्र सिंह पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी के सुर में सुर मिलाते नजर आए थे. इसके बाद सुरजेवाला ने हेमाराम चौधरी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा के साथ अलग-अलग मुलाकात कर मंत्रणा की.

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वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद पिछले कई दिनों से मोर्चा संभाले हुए हैं. वो कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के साथ लगातार बैठकें कर उनके मन की बात को जानना चाहते हैं. भारतीय ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायकों को लेकर अशोक गहलोत खुद गुरुवार रात रिजॉर्ट पहुंचे थे. शुक्रवार को दोपहर में गहलोत एक बार फिर रिजॉर्ट में निर्दलीय विधायकों के साथ मंथन और चर्चा करेंगे.

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कांग्रेस ने निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायकों की नब्ज टटोलने के लिए 4 सहप्रभारियों को लगाया है. इनमें विवेक बंसल, काजी निजामुद्दीन, देवेंद्र यादव और तरुण कुमार एक-एक विधायक से बात कर रहे हैं. वह विधायकों से बात कर उनके मन की बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं सरकार से वे नाराज तो नहीं हैं.

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