आनंदपाल एनकाउंटर का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. राजपूत संगठनों ने रविवार को राजपूत महासभा के बैनर तले संवाददाता सम्मेलन कर आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच को नकारते हुए दोबारा निष्पक्ष जांच की मांग की. इस मौके पर राजपूत नेताओं ने बीजेपी के विधायकों को चेताया भी कि उनकी चुप्पी आगे आने वाले चुनाव में भारी पड़ेगी.
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राजपूत महासभा ने चेतावनी दी है कि अगर आनंदपाल एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच नहीं होती है और उसके बाद हुई हिंसा में राजपूत नेताओं पर दर्ज मुकदमों को खत्म नहीं किया जाता है तो राजपूत समाज फिर से आंदोलन करेगा.
सीबीआई ने पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी
इस मौके पर राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवारा ने तत्कालीन वसुंधरा सरकार और राजपूत संगठनों के बीच हुए समझौते की कॉपी पेस्ट करते हुए कहा कि 18 जुलाई 2017 को वसुंधरा सरकार के साथ जो समझौता हुआ था उसमें आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की गई थी मगर जानबूझकर राजपूत नेताओं को फंसाने के लिए उसके बाद आनंदपाल के गांव में हुई हिंसा की जांच भी सीबीआई को दे दी गई.
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राजपूत महासभा ने इस मौके पर राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और बीजेपी के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत का राजपूत नेताओं के प्रति समर्थन देने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया. गौरतलब है कि सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल करते समय आनंदपाल एनकाउंटर मामले में पुलिस वालों को क्लीन चिट दे दी थी और उसके बाद हुई हिंसा में सारे राजपूत नेताओं को आरोपी बना दिया था.
शरत कुमार