भले ही दिल्ली में प्रदूषण के लिए चार राज्यों में राजस्थान को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लेकिन राजस्थान सरकार का दावा है कि राजस्थान दिल्ली में प्रदूषण नहीं फैला रहा है बल्कि दिल्ली ही राजस्थान को प्रदूषित कर रही है.
दरअसल दिल्ली सरकार ने एनजीटी के सामने पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान को भी खेतों में परली जलाने से प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया था. इसके लिए राजस्थान समेत चार राज्यों के पर्यावरण सचिव को दिल्ली एमजीटी में आठ नवंबर को तलब किया गया है. इसके जवाब में राजस्थान सरकार ने कहा है कि साफ-सुथरी हवा वाला राज्य राजस्थान दिल्ली की वजह से प्रदूषित होता जा रहा है.
राजस्थान सरकार का दावा है कि राजस्थान में बहुत कम खेतों में फसल जलाने की घटना होती है और वैसे भी हवा अभी नहीं चल रही है. ऐसे में दिल्ली सरकार के राजस्थान पर प्रदूषण फैसाने के आरोप बेबुनियाद है. इसकी वजह ये है कि जिन वाहनों को दिल्ली में रिजेक्ट किया गया है उनका धड़ल्ले से राजस्थान के आरटीओ-डीटीओ आफिसों में रजिस्ट्रेशन हो रहा है. दिल्ली में यूरो 3 के वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर पाबंदी लगी तो वहां से पड़ोस के इलाके अलवर, कोटपूतली, दौसा, शाहपूरा और नीमराऩा में दो लाख से ज्यादा यूरो 3 के वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका है.
साफ है कि दिल्ली से रिजेक्ट किए गए सस्ते और प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को यहां खफाया जा रहा है. अकेले कोठपूतली में एक लाख 30 हजार दिल्ली यूरो 3 वाहनों का रजिस्ट्रेशन करवाया जा चुका है. इस बारे में परिवहन मंत्री युनूस खान का कहना है कि ये बात सही है और इसकी रोकथाम के लिए कानून बनाने की कवायद चल रही है. दिल्ली में पर्यावरण सचिवों की एनजीटी की मीटिंग में इसबात को रखा जाएगा कि दिल्ली के रिजेक्टेड वाहनों को दूसरे राज्यों में खपाने के बजाए नष्ट करने के उपाय किए जाएं.
इस बीच दिल्ली में प्रदूषण से बिगड़े हालत को देखते हुए राजस्थान सरकार ने भी सोमवार को मीटिंग बुलाई है. जिसमें इस बात पर चर्चा होगी कि अगले दस बीस सालों में दिल्ली जैसे हालात जयपुर जैसे शहरों में न हो. इसके लिए अभी से सभी विभागों के साथ मिलकर मास्टर प्लान बनाया जाएगा.
शरत कुमार