राजस्थान में गुर्जर आंदोलन एक बार फिर वसुंधरा राजे सरकार की सिरदर्द बन सकता है. गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राज्य सरकार को उनके समुदाय के लिए 10 दिनों के भीतर आरक्षण लागू करने का अल्टीमेटम दिया है. बैंसला का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो गुर्जर एक बार फिर सड़कों पर उतरेंगे.
भरतपुर में जुटे गुर्जर
मंगलवार को भरतपुर के बयाना इलाके के पीलूपुरा गांव में गुर्जर आरक्षण आंदोलन में मारे गए गुर्जरों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में बैंसला के अलावा गुर्जर समाज के कई और बड़े नेताओं ने भी शिरकत की. इस मौके पर बैंसला ने दावा किया कि विशेष पिछड़ा वर्ग में आरक्षण गुर्जरों का हक है.
कहां अटका है मामला?
राजस्थान सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग की एक अलग कैटेगरी बनाकर गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण दिया था. लेकिन राज्य में कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा होने की वजह से हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी थी. इसके बाद गुर्जरों की मांग पर राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है. लेकिन अबतक वहां से गुर्जरों को कोई राहत नही मिली है. इसके बाद राजस्थान में गुर्जर समाज को विशेष पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से बाहर कर दिया गया है. वो दोबारा ओबीसी वर्ग का हिस्सा हैं.
सरकार के खिलाफ गुस्सा
मौजूदा हालात को लेकर गुर्जर समाज में गुस्सा है. गुर्जर प्रतिनिधि आरक्षण को लागू करने में नाकामी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं. पिछले दो गुर्जर आरक्षण आंदोलनों में करीब 120 लोगों की जानें गई थीं और करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था. एक महीने से ज्यादा समय तक रेल और हाईवे बंद रहे थे. तब भी राज्य में बीजेपी की वसुंधरा सरकार हीं थी. ऐसे में फिर से गुर्जर आरक्षण की धमकी के बाद लोग सहमे हुए हैं.
शरत कुमार