आरक्षण की सीमा बढ़ाने का विधेयक पेश, HC ने राजस्थान सरकार को थमाया नोटिस

सरकार ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने जा रही है. ऐसे में बिना प्रदेश में आरक्षित जातियों का दोबारा क्वांटिफाइड डाटा बनाये सरकार अपनी मनमानी कर रही है जिसे हाईकोर्ट के 10 अगस्त 2015 के आदेश की अवमानना माना है.

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गुरुवार को विधानसभा में होगी बहस गुरुवार को विधानसभा में होगी बहस

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 25 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST

राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राजस्थान पिछड़ा वर्ग नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण विधेयक 2017 रख दिया है अब इस पर गुरुवार को विधानसभा में बहस होगी. लेकिन एक ओर मंत्री अरूण चतुर्वेदी इस विधेयक को पेश कर रहे थे उधर दूसरी और कोर्ट आरक्षण के मामले में सरकार को बढ़ा झटका दिया है.

राजस्थान सरकार को पूर्व के निर्णय की पालन नहीं करने और ओबीसी की सभी जातियों की आंकड़ों के आधार पर समीक्षा किये बिना भरतपुर-धौलपुर के जाटों को ओबीसी में फिर से शामिल करने और SBC को ओबीसी में शामिल करके आरक्षण 21 से 26 फीसद करने पर अवमानना नोटिस जारी किया है.

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अदालत ने आज कहा है कि जब कोर्ट ने पहले ही सरकार को कहा है कि वो पहले प्रदेश में ओबीसी का क्वांटिफाइड डाटा पेश करे उसके बाद ही आगे की कार्यवाही करे. लेकिन 1993 के बाद अब तक सरकार ने ऐसा नहीं किया है बल्कि ये क्वांटिफाइड डाटा पेश किये बगैर ही सरकार ने धौलपुर और भरतपुर के जाटों को ओबीसी में शामिल कर लिया. अब वो ओबीसी आरक्षण को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने जा रही है. ऐसे में बिना प्रदेश में आरक्षित जातियों का दोबारा क्वांटिफाइड डाटा बनाये सरकार अपनी मनमानी कर रही है जिसे हाईकोर्ट के 10 अगस्त 2015 के आदेश की अवमानना माना है.

इस पर मूलसिंह आदि की अवमानना याचिका पर सरकार ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किये हैं. केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव, नेशनल कमिशन ऑफ बैकवर्ड क्लास प्रदेश के मुख्य सचिव, डीओपी सचिव, सामाजिक न्याय अधिकारिता सचिव और ओबीसी कमीशन को अवमानना के नोटिस जारी किए गए हैं.

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