राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नियम ऐसे बना दिए गए हैं कि सभी जरूरतमंद गरीब इसके दायरे में नहीं आ रहे हैं, लिहाजा इसका बदलाव किया जाए.
अशोक गहलोत ने नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आयुष्मान भारत योजना की लॉन्चिंग के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 2011 के चयनित लाभार्थियों की सूची का आधार बनाया गया है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में गरीब इसके दायरे से बाहर हो गए हैं.
उन्होंने लिखा है कि आयुष्मान भारत योजना जब लॉन्च किया गया है तो इसके दायरे में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 2013 के चयनित लाभार्थी आने चाहिए. इसलिए बदलाव कर इसे 2013 के चयनित लाभार्थियों की सूची के आधार पर लागू किया जाए.
गहलोत ने इसके लिए दलील दी है कि अगर 2011 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत चयनित लाभार्थियों के आधार पर आयुष्मान भारत योजना हम राजस्थान में लागू करते हैं तो इसमें महज 59 लाख लोग ही कवर हो पाएंगे, जबकि पिछली बीजेपी सरकार के दौरान लॉन्च हुई इसी तरह की भामाशाह स्वास्थ्य योजना के अंदर 1 करोड़ 10 लाख लोग आते हैं, क्योंकि भामाशाह स्वास्थ्य योजना 2013 तक के चयनित लाभार्थियों की सूची के आधार पर तैयार की गई थी.
राजस्थान सरकार ने सत्ता में आने के बाद वसुंधरा राजे की भामाशाह स्वास्थ्य योजना को बंद करते हुए उसकी जगह पर आयुष्मान भारत महात्मा गांधी स्वास्थ्य योजना लॉन्च की है, जिसमें सभी 1 करोड़ 10 लाख लाभार्थियों को शामिल किया गया है.
अब राजस्थान सरकार के सामने संकट यह पैदा हो गया है कि 50 लाख गरीबों के स्वास्थ्य का पैसा खुद की जेब से देना पड़ रहा है. कल रात हालात ऐसे हो गए कि राज्य में चल रहे भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का बीमाकर्ता यूनाइटेड इंडिया ने बीमा की राशि देने से मना कर दिया. आधी रात को आनन-फानन में राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों को आदेश जारी किया कि वह इलाज जारी रखें उनका पैसा सीधे सरकार देगी.
शरत कुमार