अब NRI करेंगे भारतीय रेलवे का उद्धार

प्रधानमंत्री लगातार अपने विदेशी दौरों में प्रवासी भारतीयों से भारत के विकास में योगदान की बात दोहराते रहे हैं. और अब  प्रवासी भारतीयों के भारत के प्रति बढ़ते रुख को  देखते हुए रेलवे ने अपनी कमर कस ली है.

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aajtak.in

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  • 11 जून 2015,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

प्रधानमंत्री लगातार अपने विदेशी दौरों में प्रवासी भारतीयों से भारत के विकास में योगदान की बात दोहराते रहे हैं. और अब  प्रवासी भारतीयों के भारत के प्रति बढ़ते रुख को  देखते हुए रेलवे ने अपनी कमर कस ली हैं जिससे वो सभी आपने गांव, शहर के स्टेशनों के विकास में योगदान दे सकें. रेलवे की ये नयी  पालिसी कॉर्पोरेट, एनजीओ, और सभी को (जो भी कुछ योगदान  चाहता हो) विकास में हिस्सेदार बनने के लिए आमंत्रित करती है.  

रेलवे को वित्त मंत्रालय ने लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपये स्पेशल सेफ्टी फण्ड के तहत दिए गए है जिससे हर साल देश होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके.  

इस पालिसी के बारे में बात करते हुए रेलवे के बोर्ड मेंबर वी के गुप्ता ने कहा कि सारा ख़ाका तैयार हो चुका है बस कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही इसे सार्वजनिक कर देंगे. गुप्ता ने ये भी बताया कि रेलवे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों में भारतीय दूतावास के संपर्क में है जंहा ढेरो प्रवासी अपने गांव, शहर के स्टेशनों को गोद लेना चाहते है.

और जानकारी देते हुए गुप्ता ने ये भी बताया की हबीबगंज(भोपाल), सूरत, गांधीनगर, आनंद विहार और बिजवासन को विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने के लिए चिन्हित कर लिया गया है, इन सारे स्टेशनों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तैयार किया जायेगा और हबीबगंज के लिए प्रस्ताव आने भी शुरू हो गए हैं.

लगभग 15000 लोग क्रासिंग ना होनें  के  कारण हर साल रेल की पटरियों पर अपनी जान गंवा देते हैं. और आम बजट में वादा करनें के बाद भी रेलवे ने अब तक मानव रहित क्रासिंग के लिए कोई ख़ास प्रावधान नहीं किया है. इस पर गुप्ता नें बताते हुए कहा कि 7,700 क्रासिंग बनाने के लिए प्रस्ताव था और अब तक 1148 का निर्माण किया जा चूका है.

वैसे रेल मंत्री ने संसद में कोई नयी ट्रेन ना चलने को लेकर जवाब देते हुए कहा था  कि इस बजट की प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करना है.

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