गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान मंदिरों के दर्शन कर कांग्रेस की बदली छवि पेश करने वाले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में भी अपनी इसी रणनीति को जारी रखने का संकेत दे चुके हैं.
कांग्रेस का अध्यक्ष पद ग्रहण करने के बाद राहुल गांधी गुजरात के सोमनाथ मंदिर गए और अब उनका अगला मिशन यूपी है. यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल दो सीटें ही जीत पाई थी. कांग्रेस में नए सिरे से जान फूंकने और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने मुख्य चुनौती पेश करने के लिए प्रयाग के माघ मेले को लेकर विशेष रणनीति बनाई गई.
पार्टी के शीर्ष रणनीतिकार माघ मेले के दौरान मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के बीच किसी भी दिन राहुल गांधी के इलाहाबाद पहुंचकर गंगा स्नान और आरती में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि यूपी के कांग्रेसी नेताओं को इस पूरी कवायद से बाहर रखा गया है लेकिन इलाहाबाद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल द्विवेदी राहुल गांधी के इलाहाबाद आने की अटकलों को सही मान रहे हैं.
अगर ये अटकलें सही साबित हुई तो यह पहला मौका होगा जब गांधी परिवार का कोई सदस्य माघ मेले के दौरान प्रयाग आया हो. इससे पहले वर्ष 2001 में कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी महाकुंभ के दौरान निजी दौरे पर इलाहाबाद आई थीं. यहां वह संगम क्षेत्र में टीकरमाफी अखाड़े के प्रमुख हरि चैतन्य ब्रह्मचारी के आश्रम गई थीं.
टीकरमाफी प्रमुख का आश्रम अमेठी में स्थित है.
वहीं राहुल गांधी ने माघ मेले में प्रदेश सरकार की तैयारियों पर नजर रखने के लिए सेवादल को लगाया है. सेवादल के कार्यकर्ता मेला क्षेत्र में कैंप करेंगे और आने वाले श्रद्धालुओं की दिककतों पर नजर रखने के साथ स्थानीय प्रशासन से मिलकर उन्हें दूर भी कराएंगे. प्रदेश सेवादल के मुख्य संगठक प्रमोद पांडेय बताते हैं ‘माघ मेले में कम से कम 200 सेवादल कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाएगा. इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेडिकल कैंप भी लगाए जाएंगे.’
लेकिन, असल बात यही है कि क्या राहुल गांधी कांग्रेस की रणनीति को उसी सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ ले जाएंगे जिसके बारे में उनकी पार्टी के लोग बार-बार इनकार करते रहे हैं. सवाल यह भी है कि क्या राहुल का यह कदम उनके वोटबैंक को रास आएगा?
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आशीष मिश्र