झारखंड को मिला पहला गैर-आदिवासी CM, 29 को शपथ लेंगे रघुवर दास

रघुवर दास झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे.रांची में शुक्रवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर आखिरी मुहर लग गई. वह झारखंड के 14 साल के इतिहास के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे. 29 दिसंबर को वह रांची के बिरसा मुंडा ग्राउंड में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

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Raghubar Das Raghubar Das

aajtak.in

  • नई दिल्ली/रांची,
  • 26 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 10:35 PM IST

रघुवर दास झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे. रांची में शुक्रवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर आखिरी मुहर लग गई. वह झारखंड के 14 साल के इतिहास के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे. 29 दिसंबर को वह रांची के बिरसा मुंडा ग्राउंड में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

इस दौड़ में सरयू राय, सुदर्शन भगत, सीपी सिंह और जयंत सिन्हा के नाम भी शामिल थे, लेकिन बताया जात ा है कि अमित शाह की पहली पसंद रघुवर दास ही थे. बीजेपी विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बीजेपी महासचिव और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे भी मौजूद थे.

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विधायकों की लामबंदी शुरू
इससे पहले पद की दौड़ में आगे बताए जाने वाले उम्मीदवारों ने भी कोशिशें तेज कर दी थीं. ज्यादा से ज्यादा विधायकों को अपने पक्ष में लामबंद करके आलाकमान तक पहुंचने की कवायद शुरू हो गई थी. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी आलाकमान गुरुवार शाम को ही रघुवर दास के नाम पर फैसला ले चुका था. याद रहे कि झारखंड में पहली बार कोई पूर्ण बहुमत की सरकार सत्ता संभालेगी.

राजनाथ ने बढ़ाया सीपी सिंह का नाम!
सूत्रों ने यह भी बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रांची के विधायक सीपी सिंह का नाम आगे बढ़ाया था. वैसे मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के रोल को काफी अहम माना जा रहा था. हालांकि दोनों इस बार चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे हैं.

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गौरतलब है कि झारखंड में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार बनाने जा रही है. बीते मंगलवार को घोषित नतीजों में 81 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी और आजसू ने मिलकर 42 सीटें जीती हैं. इन 5 मुख्यमंत्रियों के लिए रहा कयामत का दिन

कौन हैं रघुवर दास?
मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले रघुवर दास 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक झारखंड के उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं. वह टाटा स्टील में काम करते थे. 1995 से वह जमशेदपुर ईस्ट सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. वह गैर-आदिवासी मूल के हैं और पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी के मौजूदा रुख को देखते हुए उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि भी उनके पक्ष में काम कर सकती है. 32 फीसदी आदिवासी आबादी वाले प्रदेश के वह पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे.

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