फ्रांस से आ रहे पांच राफेल विमानों का पहला जत्था संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंच चुका है. फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से भारत के लिए उड़ान भरने वाले राफेल विमानों ने लगातार 7 घंटे तक उड़ान भरी. राफेल विमानों के पहले जत्थे में शामिल पांच विमानों ने संयुक्त अरब अमीरात के अल दफरा हवाई अड्डे पर सुरक्षित लैंड किया.
यूएई के अल दफरा एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग पायलट्स को आराम देने के लिए हुई है. ये पांचो राफेल विमान सात हजार किलोमीटर की दूरी तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचेंगे. जहां इन्हें अंबाला में भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किया जाना है.
अंबाला पहुंचने पर राफेल विमानों को मिसाइल सिस्टम से लैस किया जाएगा. राफेल को स्कैल्प, मेटेओर और हैमर मिसाइल से लैस किया जाना है. बताया जाता है कि राफेल की एक स्क्वाड्रन अंबाला में रहेगा, जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हाशीमारा में तैनात किया जाएगा.
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गौरतलब है कि फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए साल 2016 में समझौता हुआ था. इस समझौते के बाद भारत को मिलने वाले राफेल विमानों की यह पहली खेप है. कोरोना के कारण विमानों की डिलीवरी में थोड़ा विलंब हुआ. समझौते के मुताबिक दो साल में भारत को 36 राफेल विमान मिलने हैं
उम्मीद जताई जा रही है कि दिसंबर 2021 तक सभी 36 राफेल विमान फ्रांस से भारत को मिल जाएंगे. इससे पहले फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से राफेल विमानों ने भारत के लिए उड़ान भरी. इस अवसर पर फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ भी एयरबेस पर मौजूद थे.
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भारतीय राजदूत ने पायलटों से मुलाकात कर शुभकामनाएं दीं, साथ ही राफेल की निर्माता दसाल्ट एविएशन को भी बधाई दी. बता दें कि साल 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए समझौता किया था. राफेल विमान के सौदे में धांधली का आरोप लगाते हुए कांग्रेस, एनडीए सरकार पर हमलावर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राफेल सौदे का मुद्दा जोरशोर से उठाया था.
मंजीत नेगी