पंजाब में AAP के बागी नेताओं पर कांग्रेस और BJP की नजर

बीजेपी नेताओं का दावा है कि पंजाब में AAP की करारी शिकस्त और अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद राज्य में AAP के कुछ नेता पार्टी को छोड़ना चाहते हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

खुशदीप सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 11 मई 2017,
  • अपडेटेड 9:10 PM IST

भगवंत मान को पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) का संयोजक बनाए जाने के बाद पार्टी की पंजाब यूनिट में इस्तीफों का तांता लग गया है. जहां AAP से नेताओं के बाहर जाने के सिलसिले को रोकने के लिए पार्टी नेतृत्व को अभी कदम उठाना है, वहीं कांग्रेस और बीजेपी ने AAP को कमजोर करने के लिए इसके बागी नेताओं पर डोरे डालना शुरू कर दिया है.

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बीजेपी नेताओं का दावा है कि पंजाब में AAP की करारी शिकस्त और अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद राज्य में AAP के कुछ नेता पार्टी को छोड़ना चाहते हैं.

बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक AAP के कुछ नेता बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अगले महीने होने वाले राज्य के दौरे से पहले पार्टी का दामन थाम सकते हैं. बीजेपी ने पंजाब के हालिया विधानसभा चुनाव में 23 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, इनमें से केवल 3 को ही जीत हासिल हो सकी. 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी को इस बार 9 सीटें कम हासिल हुईं. बीजेपी राज्य में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है, इसलिए वो AAP की मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने का प्रयास कर सकती है.

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बीजेपी के प्रदेश सचिव विनीत जोशी ने 'आज तक' को बताया- 'ना कि AAP की प्रदेश इकाई में विघटन बल्कि चुनाव के वक्त भी इस पार्टी के कई नेता हमारे संपर्क में थे. AAP का गुब्बारा फूटने के बाद, खास तौर पर AAP नेताओं के किलाफ महिलाओं के शोषण और टिकटों के लिए नकदी लेने के आरोप सामने आने के बाद. AAP भ्रष्टाचार का अड्डा है और इसका पंजाब में जल्दी ही सफाया हो जाएगा. इसके कुछ शीर्ष नेता शीघ्र ही हमारी पार्टी में शामिल हो जाएंगे.'

पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं का भी दावा है कि AAP में विद्रोह के बाद इसके कुछ विधायक कांग्रेस में आने के इच्छुक हैं. अमृतसर (पश्चिम) से कांग्रेस विधायक डॉ राजकुमार वेरका के मुताबिक पार्टी ऐसे किसी भी नेता का स्वागत करेगी जो कांग्रेस की नीतियों का समर्थन करेगा. बता दें कि पंजाब में AAP के पूर्व संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी ने इस्तीफा देने से पहले डॉ राजकुमार वेरका से मुलाकात की थी.

डॉ राजकुमार वेरका ने कहा, 'गुरप्रीत सिंह घुग्गी दोस्त हैं जिन्हें AAP ने धोखा दिया. कोई भी नेता जो योग्य होगा, उसका हम स्वागत करेंगे. AAP पंजाब में चमक खो चुकी है क्योंकि इसके नेता भ्रष्टाचार में शामिल रहे और अपने पदों का दुरुपयोग किया. दल बदल विरोधी कानून कुछ विधायकों को अन्य पार्टी में जाने से रोक सकता है लेकिन हम उनके निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी मदद करेंगे. हम उम्मीद कर रहे हैं कि कुछ नेता शीघ्र ही हमारी पार्टी में शामिल होंगे.'

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इस बीच, पंजाब में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ AAP नेता एच एस फुलका ने पार्टी में गुटबाजी को लेकर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. सुनाम से AAP विधायक अमन अरोड़ा ने दावा किया कि AAP का घर एकजुट है और नेताओं को समझाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

अमन अरोड़ा ने कहा, 'कांग्रेस भी पहले चुनाव में हारी थी. क्या उस नाकामी से पार्टी खत्म हो गई. अगर AAP को बहुमत वोट नहीं मिला तो इसका ये मतलब नहीं कि पार्टी ने अपनी जमीन खो दी है. पार्टी एकजुट है और आम आदमी से जुड़े मुद्दों को उठाने का काम करती रहेगी.'

गुरप्रीत सिंह घुग्गी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार किया. घुग्गी ने कहा कि सारे विकल्प खुले हैं लेकिन वो किसी जल्दी में नहीं हैं. बीजेपी और कांग्रेस जहां AAP नेताओं को अपने साथ मिलाने के लिए उत्सुक नजर आती हैं, वहीं AAP नेतृत्व अपने नेताओं को जाने से रोकने के लिए कोई प्रयास करता नहीं दिखता. अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता ने पंजाब चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य का दौरा नहीं किया. AAP का पंजाब में भगवंत मान को प्रमुख बनाना पार्टी के लिए भारी पड़ता दिख रहा है. पार्टी के ही कई नेता खुले तौर पर इस फैसले को चुनौती देते हुए इस्तीफे दे रहे हैं. गुरप्रीत सिंह घुग्गी ने जहां पार्टी से इस्तीफा दिया वहीं पार्टी के व्हिप प्रमुख और प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैरा ने अपने पदों से हटने का ऐलान किया.

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