जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद के खिलाफ थाने में शिकायत, कहा- इनके भाषण से पुणे में भड़की हिंसा

200 साल पुराने एक युद्ध की बरसी पर दलितों और मराठा समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प ने राज्य को फिर से हिंसा की आग में ढकेल दिया है. खतरनाक होते हालात के बीच राजनीतिक दल इस पर राजनीतिकरण करने लगे हैं.

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हिंसा की चपेट में महाराष्ट्र हिंसा की चपेट में महाराष्ट्र

aajtak.in / पंकज खेळकर

  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST

पुणे में 200 साल पुराने भीमा-कोरेगांव युद्ध की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ गया है. इस हिंसक झड़प में एक की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं. क्षेत्र में बढ़ते हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है. राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

जिग्नेश मेवानी पर गंभीर आरोप

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इस बीच मंगलवार देर शाम पुणे के दो युवा अक्षय बिक्कड और आनंद डॉन्ड ने पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद के खिलाफ लिखित में शिकायत देकर FIR दर्ज करने की मांग की है. शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद ने कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था.

मेवानी-खालिद के खिलाफ शिकायत

शिकायतकर्ताओं की मानें तो जिग्नेशन मेवानी के भाषण के बाद ही महाराष्ट्र जातीय हिंसा भड़क उठी. क्योंकि भाषण के दौरान जिग्नेश मेवानी ने एक खास वर्ग को सड़क पर उतर कर विरोध करने के लिए उकसाया, जिसके बाद लोग सड़क पर उतर आए और फिर धीरे-धीरे भीड़ ने हिंसक रूप ले लिया. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक पुणे हिंसा के लिए ये दोनों जिम्मेदार हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

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इस कार्यक्रम में विधायक जिग्नेश मेवानी कहा कि आने वाली 14 अप्रैल को नागपुर में जाकर आरएसएस मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की जाएगी. इस परिषद में प्रकाश आंबेडकर, पूर्व न्यायाधीश बी.जी. कोलसे पाटिल, लेखिका और कवि उल्क महाजन आदि उपस्थित थे.

जांच के आदेश के बाद भी राज्य में हिंसक माहौल तेजी से फैलता जा रहा है. मुंबई पुलिस का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुणे हिंसा की आग अब राजधानी मुंबई की ओर भी बढ़ने लगी है. सरकार जहां हिंसक हालात पर काबू पाने में कोशिशों में जुटी है, वहीं राजनीतिक दल इस प्रकरण का राजनीतिकरण करने लगे हैं.

दलित समुदाय से जुड़े इस कार्यक्रम में गुजरात में नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, प्रकाश अंबेडकर और राधिका वेमुला मौजूद थे. माना जा रहा है कि दलित और मराठा समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए. फिर यहीं से झड़प हिंसक की शुरुआत हो गई. तेज होते प्रदर्शन को देखते हुए मुंबई में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है.

भारिपा बहुजन महासंघ के राष्ट्रीय नेता प्रकाश अंबेडकर समेत दलित ग्रुप ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. हालांकि उन्होंने इसे जातीय हिंसा नहीं माना है. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता पुणे में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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पूरे घटनाक्रम पर महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब 3 लाख लोग एकत्र हुए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा." साथ ही मारे गए युवक की सीआईडी जांच कराई जाएगी. वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने दलितों और अपने प्रशंसकों से शांत रहने का निवेदन किया है.

विपक्षी दलों ने साधा निशाना

बीएसपी नेता मायावती ने भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा पर बयान दिया कि यह जो घटना घटी है, रोकी जा सकती थी. सरकार को वहां सुरक्षा की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी. वहां बीजेपी की सरकार है और उन्होंने वहां हिंसा करवाई. लगता है इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार ने इस हिंसा के लिए दक्षिणपंथी संगठनों की जिम्मेदार बताया है और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी. हर साल यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने यहां की फिजा को बिगाड़ दिया.

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एनसीपी नेता माजिद मेमन ने हिंसा के लिए राज्य सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य में कोई सरकार ही नहीं है. भाजपा और शिवसेना में कोई तालमेल नहीं है. मुख्यमंत्री की ओर से न्यायिक जांच के आदेश की बात महज दिखावा है.  

दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भीमा-कोरेगांव में हिंसा साजिश के तहत फैलाई गई. मुंबई कांग्रेस के डॉ. राजू वाघमारे ने कहा कि पहले से दलितों पर हमले करने की प्लानिंग थी. आरएसएस के कुछ लोग यहां हिंसा भड़काने के लिए लंबे समय से तैयारी कर रहे थे. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इस हिंसा जिग्नेश मेवाणी का बचाव करते हुए भाजपा-आरएसएस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. गांधी ने ट्वीट किया कि आरएसएस और भाजपा का यही फासिस्ट विजन है कि दलित भारतीय समाज में निचले तबके में रहें. ऊना, रोहित बेमुला और अब भीमा-कोरेगांव हिंसा इसके ताजा सबूत हैं.

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. जंग में अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे. लेकिन महज 500 महार सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाते हुए पेशवा की शक्तिशाली मराठा फौज को हरा दिया था.

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