राज्यसभा में बोले नरेंद्र मोदी, 'संसद को करेंगे दागियों से मुक्त, न्याय प्रक्रिया होगी तेज'

लोकसभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया. उन्होंने विकास के लिए केंद्र और राज्य के संबंधों को बेहतर बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि केंद्र के विचार सभी राज्यों पर नहीं थोपे जाने चाहिए.

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Narendra Modi speech in Rajya sabha Narendra Modi speech in Rajya sabha

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2014,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

लोकसभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया. उन्होंने विकास के लिए केंद्र और राज्य के संबंधों को बेहतर बनाने और केंद्र के विचार सब राज्यों पर न थोपे जाने की बात कही. प्रधानमंत्री ने संसद को दागियों से मुक्त बनाने की जरूरत भी बताई.

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में निराशा का माहौल है. लेकिन यह बहुत जल्द ही छंटने वाला है. तब सबको विश्‍वास हो जाएगा कि देश में बहुत कुछ हो सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि विजय और पराजय दोनों में सीख छिपी होती है. जो विजय से सीख नहीं लेता, वह पराजय के बीज बोता है और जो पराजय से सीख नहीं लेता वह विनाश के बीज बोता है.

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पढ़ें: लोकसभा में मोदी का पूरा भाषण

'एक टीम की तरह हैं PM और CM'
प्रधानमंत्री ने संघीय ढांचे लोकतंत्र की ताकत बताया. उन्होंने कहा कि अगर देश को आगे बढ़ना है तो राज्‍यों को आगे बढ़ना होगा. गुजरात में अपने अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निजी स्‍वार्थ की वजह से राज्‍यों का विकास रोका जाता है और इस बात के वह भुक्तभोगी रहे हैं. उन्होंने कहा कि विकास की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री एक टीम की तरह हैं. मोदी ने कहा कि कुशासन (बैड गवर्नेंस) डायबिटीज की तरह है.

'अच्छे काम को अपनाना है गुजरात मॉडल'
PM ने कहा कि अकसर लोग गुजरात मॉडल के बारे में बात करते हैं और कुछ लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर गुजरात मॉडल क्या है. उन्होंने कहा, 'अगर सरलता में कहा जाए तो किसी भी राज्य के अच्छे काम को अपनाना गुजरात मॉडल है. अगर मायावती जी ने उत्तर प्रदेश में कोई अच्छा काम किया तो उसे अपने यहां भी लागू करना गुजरात मॉडल है. हमने पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार से भी सीखा है.'

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'दिल्ली से थोपे न जाएं विचार'
प्रधानमंत्री ने विकास प्रक्रिया में प्रदेश और केंद्र के अंतर्संबंधों पर बल दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली को अपने विचार हर राज्य पर थोपने नहीं चाहिए, क्योंकि हर राज्य की परिस्थितियां अलग होती हैं. उन्होंने कहा, 'एक योजना हर राज्‍य पर, हर जगह लागू नहीं हो सकती. राज्‍यों में विकास को लेकर प्रतिस्‍पर्धा हो. एक विकास मॉडल दूसरे पर भी लागू हो यह जरूरी नहीं है.'

'विकास सर्वहित और सर्वप्रिय होना चाहिए'
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को विकास के नए तरीके खोजने होंगे और विकास सर्वहित, सर्वप्रिय और सकारात्‍मक होना चाहिए. उन्होंने पूर्वोत्तर के राज्‍यों को पश्चिम के बराबर लाने पर भी जोर देने की बात कही. उन्होंने कहा कि देश का समुद्र तट देश की समृद्धि का द्वार बन सकता है. उन्होंने कहा कि हिमालय वाले सभी राज्य एक मॉडल अपनाने पर विचार कर सकते हैं.

मोदी ने कहा कि हमें अपने विचारों को आखिरी आदमी तक पहुंचाना होगा. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने कहा तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है. उन्होंने संसद को दागियों से मुक्त बनाने की बात कही और दागी सांसदों पर न्‍याय प्रक्रिया तेज करने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि दोषी सांसद हटेंगे तो बाकी को भी सबक मिलेगा.

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'जरूरत पड़ने पर लेंगे विपक्ष का मार्गदर्शन'
मोदी ने एक बार फिर सब दलों को साथ लेकर चलने की बात कही. उन्होंने कहा कि हम विजयी होकर आए हैं, लेकिन हमें सभी सांसदों का समर्थन चाहिए. उन्होंने विपक्ष से कड़वाहट दूर करने और जरूरत पड़ने पर विपक्ष का मार्गदर्शन लेने की बात कही.

इससे पहले लोकसभा में उन्होंने कहा कि सदन में वह सामूहिकता का भाव लाना चाहते हैं और बीजेपी की कितनी भी संख्या हो, वह सभी दलों को साथ लेकर चलेगी. मोदी ने कहा कि वह सभी दलों के वरिष्ठ नेता के आशीष से आगे बढ़ेंगे.

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