PM मोदी, राजनाथ और सुषमा ने दी अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित आरएसएस कार्यालय केशवकुंज जाकर विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि दी.
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अशोक सिंघल के पार्थिव शरीर को अंतिम प्रणाम करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित आरएसएस कार्यालय केशवकुंज जाकर विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि दी. सिंघल का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया. वह 89 साल के थे.
करीब एक महीने से बीमार चल रहे अशोक सिंघल का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था. सिंघल के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए झंडेवलान स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में रखा गया है. पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत कई दिग्गज बीजेपी नेताओं और पदाधिकारियों ने सिंघल को श्रद्धासुमन अर्पित किए.
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि शाम चार बजे तक विहिप नेता के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद शव यात्रा निकाली जाएगी और फिर निगमबोध घाट पर उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी.
हरिजन से रखवाई थी पहली ईंट
आगरा में जन्मे सिंघल ने 40 वर्षों से अधिक समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काम किया. उनकी छवि एक कट्टर हिंदू नेता की रही. इमरजेंसी के बाद उन्हें विश्व हिंदू परिषद का पदाधिकारी बनाया गया. 2011 में अशोक सिंघल विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक बनाए गए. लेकिन राम मंदिर के लिए आंदोलन की नींव रखने वाले सिंघल ने हिंदू धर्म की अंदुरुनी कमजोरियों के खिलाफ भी मोर्चा खोला. 1986 में अयोध्या में मंदिर का शिलान्यास हुआ तो सिंघल ने कामेश्वर नाम के हरिजन से पहली ईंट रखवाई.
60 हजार गांवों में खुलवाए एकल स्कूल
देश के मंदिरों में दलित और पिछड़े पुजारियों की नियुक्ति का अभियान भी सिंघल ने चलाया. दलित और पिछड़ों को वेद पढ़ने के लिए मुहिम चलाई, शंकराचार्यों से सहमति भी दिलवाई. दक्षिण भारत में दलित पुजारियों के प्रशिक्षण का बड़ा काम सिंघल ने शुरू करवाया. हिंदुओं के धर्मांतरण के खिलाफ भी सिंघल ने मोर्चा खोला. वनवासी इलाकों और जनजातियों से जुड़े करीब 60 हजार गांवों में उन्होंने एकल स्कूल खुलवाए. सैकड़ों छात्रावास भी पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक खड़े किए.
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दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में अशोक सिंघल ने विश्व हिंदू परिषद के सेवा कार्य शुरू किए. खास तौर पर संस्कृत, वेद और कर्मकांड और मंदिरों के रखरखाव पर उनका जोर था. आधुनिक शिक्षा और शहरीकरण में उपभोक्तावाद के खिलाफ परिवार को मजबूती देने में भी वो जुटे रहे.
स्वपनल सोनल