बजट सत्र के अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आम चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ कराने पर जोर देने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में पहल भी कर दी है. उन्होंने पूरी पार्टी को इसके लिए तैयार रहने के लिए कहा है. पीएम ने आज बीजेपी की पार्लियामेंट्री एग्जीक्यूटिव की बैठक में कहा कि यह बजट सत्र काफी महत्वपूर्ण है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए उन्होंने बोर्ड के सभी सदस्यों से इसके लिए माहौल बनाने के लिए कहा है. पीएम ने कहा कि इस काम के लिए पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की लॉ एंड जस्टिस टीम काम कर रही है.
पीएम मोदी ने कहा कि सदस्यों की बजट सत्र में ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति सदन में होनी चाहिए. बैठक में पीएम ने इस बार के पद्म पुरस्कारों का हवाला देते हुए कहा कि पहले पद्म अवार्ड पर 30 प्रतिशत क़ब्ज़ा दिल्ली वालों का होता था. अब देश के हर क्षेत्र के लोगों को मिल रहा है.
कई बार सांसदों की गैरहाजिरी पर टोक चुके हैं पीएम
सांसदों की उपस्थिति पर पीएम मोदी का जोर पहली बार नहीं है. इससे पहले भी प्रधानमंत्री बार-बार सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए बोलते रहे हैं. यहां तक कि उनकी गैरहाजिरी पर पीएम टोकते भी रहे हैं. बैठक में यह भी चर्चा हुई कि इस बार बजट सत्र में तीन तलाक सहित बहुत से महत्वपूर्ण कामकाज संसद में आएंगे.
दावोस में भाषण पर पीएम को दिया स्टैंडिंग ओविएशन
दावोस में पीएम के भाषण और आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों के भारत आगमन पर पीएम मोदी को स्टैंडिंग ओविएशन दिया गया. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बैठक में कहा कि पीएम ने देश का मान-सम्मान, मर्यादा को काफी बढ़ाया है.
राष्ट्रपति के अभिभाषण से मिले संकेत
गौरतलब है कि आज बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने पहले अभिभाषण में जब सरकार की पिछले पौने चार साल की उपलब्धियां गिनाईं तो उसमें एक साथ चुनाव की पीएम मोदी की बात भी दोहराई. राष्ट्रपति ने एक साथ चुनाव की वकालत करते हुए कहा कि हर समय चुनाव का असर विकास पर पड़ता है.
पीएम एक देश एक चुनाव के पक्ष में
बीजेपी पिछले कुछ समय से केंद्र और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की बात कहती आई है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों दिए अपने एक इंटरव्यू में इसकी पुरजोर वकालत की थी. पीएम मोदी का तर्क है कि भारत जैसे विशाल देश में हर समय किसी न किसी प्रदेश में चुनाव चल रहे होते हैं और आचार संहिता लगी होती है जिसके चलते विकास के काम रुक जाते हैं. इसके अलावा केंद्र व राज्य के अलग-अलग चुनाव कराने से संसाधनों का भी काफी खर्च होता है जिसे बचाया जा सकता है.
हिमांशु मिश्रा / अशोक सिंघल / राहुल विश्वकर्मा