नए साल में मंत्रियों को बताना होगा प्लान, पीएम मोदी तय करेंगे 2024 का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की दो दिवसीय बैठक बुलाई है. यह बैठक 3 जनवरी को शाम 6 बजे से रात 9.30 बजे तक होगी. वहीं 4 जनवरी को सुबह 9.30 बजे बैठक शुरू होगी जो देर शाम तक चलेगी. बैठक में 4 से 5 मंत्रालयों का प्रेजेंटेशन होगा. 

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अब पीएम मोदी ने 2024 तक का लक्ष्य तय करने का फैसला लिया है (फाइल फोटो: PTI) अब पीएम मोदी ने 2024 तक का लक्ष्य तय करने का फैसला लिया है (फाइल फोटो: PTI)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 01 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

  • 2024 का लक्ष्य तय करना चाह रहे हैं पीएम मोदी
  • मंत्रालयों को बताने होंगे अगले सालों में होने वाले काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की दो दिवसीय बैठक बुलाई है. यह बैठक 3 जनवरी को शाम 6 बजे से रात 9.30 बजे तक होगी. वहीं 4 जनवरी को सुबह 9.30 बजे बैठक शुरू होगी जो देर शाम तक चलेगी. उम्मीद की जा रही है कि बैठक में 4 से 5 मंत्रालयों का प्रेजेंटेशन होगा.

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मंत्रालयों को बतानी होगी अपनी प्लानिंग

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने सरकार की नीतियां बनाने के लिए ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज बनाया था. उन विभागों के सचिव इस बैठक के दौरान प्रेजेंटेशन देंगे. जानकारी के मुताबिक सभी मंत्रालयों को अगले 5 साल की प्लानिंग को लेकर प्रेजेंटेशन देनी होगी. सभी को बताना होगा कि उनका मंत्रालय अगले सालों में क्या-क्या करने जा रहा है.  

2024 का लक्ष्य तय कर रहे हैं पीएम मोदी

माना जा रहा है कि अब पीएम मोदी ने 2024 तक का लक्ष्य तय करने का फैसला लिया है. इसलिए मंत्रियों को इस बात से अवगत कराया जाएगा कि अगले साढ़े चार साल के लिए उनका होम वर्क क्या है. बता दें कि इससे पहले भी पीएम मोदी ने 21 दिसंबर को  उच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं की समीक्षा के लिए काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक बुलाई थी.

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कई घंटों चली थी बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 21 दिसंबर को चाणक्यपुरी स्थित प्रवासी भारतीय केंद्र में सभी 56 मंत्रालयों की मैराथन समीक्षा बैठक की थी. यह बैठक सुबह साढ़े दस बजे से शुरू होकर शाम करीब साढ़े छह बजे तक चली थी. इतनी लंबी बैठक चलने को लेकर एक वरिष्ठ अफसर ने कहा था कि 56 मंत्रालय हैं और एक मंत्रालय के प्रजेंटेशन के लिए अगर 10 मिनट जोड़ें तो कुल 560 मिनट यानी नौ घंटे चाहिए होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इसमें लंच का भी समय है, ऐसे में सात-आठ घंटे कम से कम बैठक तो होनी ही थी. नहीं तो इतने मंत्रालयों की समीक्षा संभव ही नहीं थी.

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