भागलपुर में PM मोदी ने बदला पैंतरा, जुमले छोड़े, विकास पर किया वार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर से चुनावी पैंतरा बदल दिया. लोगों को उम्मीद थी कि मोदी अपने चिर-परिचित अंदाज में नीतीश-लालू और सोनिया की तिकड़ी पर पलटवार करेंगे. लेकिन मोदी ने भाषण की शुरुआत में ही विकास का मुद्दा उछाल दिया.

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aajtak.in

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  • 01 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर से चुनावी पैंतरा बदल दिया. लोगों को उम्मीद थी कि मोदी अपने चिर-परिचित अंदाज में नीतीश-लालू और सोनिया की तिकड़ी पर पलटवार करेंगे. लेकिन मोदी ने भाषण की शुरुआत में ही विकास का मुद्दा उछाल दिया. भागलपुर में जुमले नहीं दोहराए गए.

मोदी ने कहा कि जो लोग 25 साल तक सांप्रदायिकता और जातिवाद का जहर फैलाते रहे, उन्हें मजबूरन विकास के मुद्दे पर लौटना पड़ा. बिहार के लोग 25 साल में पहली बार विकास के लिए वोट करेंगे. बिहार में मोदी की यह चौथी परिवर्तन रैली थी.

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'उनकी रैली में भी मोदी-मोदी'
मोदी ने कहा, मैं तो समझता था कि रैली में सिर्फ जनता ही मोदी-मोदी करती रहती है. लेकिन मैं जानकर हैरान हुआ कि दो दिन पहले जो रैली हुई थी, उसमें भी सिर्फ मोदी-मोदी, मोदी-मोदी ही होता रहा.

नीतीश ने ट्वीट कर दिया जवाब

ऐसे दिया महागठबंधन को जवाब
मोदी ने कहा, कितने भी दल, कितने भी नेता इकट्ठे हो जाएं, कितने ही धोखे दिए जाएं या भ्रम फैलाए जाएं, इस विजय यात्रा को कोई रोक नहीं सकता. बिहार के लोग विकास करने और प्रगतिशील बिहार बनाने के लिए वोट करने वाले हैं.

भूले ही नहीं तो याद करने का सवाल कैसा
मोदी ने नीतीश पर पलटवार करते हुए कहा कि बिहार को जब भूले ही नहीं तो फिर याद करने का सवाल कैसा. याद उन्हें करना पड़ता है जो सत्ता के नशे में खो जाते हैं. स्वाभिमान रैली में नीतीश ने कहा था कि मोदी को 14 महीने बाद बिहार की याद क्यों आई. जवाब में मोदी ने तीन घटनाओं का भी जिक्र कियाः

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1. 'नेपाल में भूकंप आया तो मैं पहला व्यक्ति था जिसने मुख्यमंत्री को फोन कर पूछा कि कैसी स्थिति है. एनडीए के हर नेता को फोन कर दौड़ाया. अपने मंत्रियों को हर जिले में भेजा. लेकिन बिहार की सरकार ने क्या किया?'

2. 'पिछले साल जब पहाड़ गिरा था तो सबसे पहले हमने NDFC के मुलाजिमों को भेजकर नदी के किनारे के गांव खाली कराए थे. क्योंकि पानी इकट्ठा हो गया था. लोगों को समझाया और कोसी इलाके को दोबारा डूबने से बचा लिया.'

3. 'दशहरे पर जब गांधी मैदान में भगदड़ हुई थी तो हमारे मांझी जी मुख्यमंत्री थे. मैं पहला व्यक्ति था जिसने बिहार के मुख्यमंत्री को फोन कर पूछा कि मुझे क्या मदद करनी चाहिए. बिहार को जब भूले ही नहीं तो याद आने का सवाल कहां से उठता है.'

25 साल का हिसाब मांगा
मोदी ने बिहार की सरकारों से 25 साल का हिसाब देने को कहा. उन्होंने कहा, मैं जब 2019 में आऊंगा तो आपको हिसाब दूंगा कि मैंने क्या किया. लेकिन वो 25 साल का हिसाब नहीं दे रहे. उन्होंने सड़कों, बिजली, पानी का वादा किया था. वो सब कहां है.

लोहिया, कर्पूरी, जेपी को तिलांजलि दी
मोदी ने गया रैली की बातें दोहराते हुए कहा कि कुछ लोगों ने सत्ता की भूख में लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण को तिलांजलि दे दी. हमें ऐसे लोगों को तिलांजलि दे देनी चाहिए. स्वाभिमान रैली से बिहार ही नहीं, पूरा देश निराश हुआ है.

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