चीनी अखबार की 'गीदड़भभकी', 62 का आर्टिकल शेयर कर दिलाई युद्ध की याद

भारत के साथ डोकलाम सीमा को लेकर विवाद पर चीन की तरफ से उकसावे वाली हरकतें बदस्तूर जारी हैं. इस बार चीनी सरकार का मुखपत्र माने जाने वाले पीपुल्स डेली ने 22 सितंबर 1962 में छपे एक भड़काऊ संपादकीय को दोबारा प्रकाशित किया है. इस लेख में उसने 'क्षेत्रीय उकसावे' को लेकर भारत को चेतावनी दी है.

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पीपुल्स डेली ने फिर 1962 का भड़काऊ संपादकीय पीपुल्स डेली ने फिर 1962 का भड़काऊ संपादकीय

अनंत कृष्णन

  • बीजिंग,
  • 12 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:38 AM IST

भारत के साथ डोकलाम सीमा को लेकर विवाद पर चीन की तरफ से उकसावे वाली हरकतें बदस्तूर जारी हैं. इस बार चीनी सरकार का मुखपत्र माने जाने वाले पीपुल्स डेली ने 22 सितंबर 1962 में छपे एक भड़काऊ संपादकीय को दोबारा प्रकाशित किया है. इस लेख में उसने 'क्षेत्रीय उकसावे' को लेकर भारत को चेतावनी दी है.

भारत को एक तरह से चेतावनी देने के मकसद ने चीनी अखबार ने भारत-चीन युद्ध से कुछ दिनों पहले 22 सितंबर, 1962 को प्रकाशित इस संपादकीय की एक तस्वीर लगाई है.

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'अगर यह सहन किया जा सकता है, तो फिर क्या नहीं?' शीर्षक से प्रकाशित इस संपादकीय में लिखा गया है कि 'भारतीय सेना के उकसावे को चीनी लोग बरदाश्त नहीं करेंगे.'

यहां गौर करने वाली बात यह है कि चीनी मीडिया 1962 के युद्ध का कम ही जिक्र करती है, लेकिन डोकलाम को लेकर भारत के साथ जारी तनाव के बीच हालिया हफ्तों के दौरान मीडिया कैंपेन में इस युद्ध का कई बार जिक्र देखने को मिला है.

चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का सबसे प्रभावशाली अखबार माने जाने वाले पीपुल्स डेली ने डोकलाम विवाद को लेकर राष्ट्रवादी भावनाओं को हवा देने के लिए हाल ही में सोशल मीडिया पर भी कैंपेन शुरू किया है. वेइबो और वीचैट जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर पीपुल्स जेली एक मैप भी साझा कर रही है. 'भारत- सीमारेखा ही अंतिम रेखा!' शीर्षक से जारी इस मैसेज में दिखाया है कि भारत डोकलाम में 'अतिक्रमण' कर रहा है.

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बता दें कि भारत, चीन और भूटान सीमा पर स्थित डोकलाम पर चीन अपना दावा कर रहा है, वहीं भारत और भूटान का कहना है कि ये हिस्सा भूटान का है और विवादित है.

 

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