ये 13 घटनाएं बताती हैं कि मॉब लिंचिंग वाली भीड़ का कैसा होता है चेहरा?

हाल के दिनों में देश के कई जगहों पर मॉब लिंचिग की घटनाएं हुई हैं. झूठी अफवाहों पर भरोसा कर भीड़ ने कितनों को मौत के घाट उतार दिया तो कइयों को घायल कर दिया. आखिर ऐसी कौन की वजह है कि अचानक इतने लोग किसी एक मकसद से इकट्ठा होकर किसी व्यक्ति की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं ?

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मॉब लिंचिंग के विरोध में प्रदर्शन, फाइल फोटो मॉब लिंचिंग के विरोध में प्रदर्शन, फाइल फोटो

विवेक पाठक

  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

हाल के दिनों में देश के कई जगहों पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं. झूठी अफवाहों पर भरोसा कर भीड़ ने कितनों को मौत के घाट उतार दिया तो कइयों को घायल कर दिया. आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि अचानक इतने लोग किसी एक मकसद से इकट्ठा होकर किसी व्यक्ति की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं?

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महाराष्ट्र में पिछले 25 दिनों में मॉब लिंचिंग की 14 घटनाओं पर अगर गौर करें तो कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. अधिकतर घटनाओं में जहां पीड़ित स्थानीय निवासी न होकर पड़ोस के गांव, शहर व राज्यों से संबंधित पाए गए. वहीं झूठी अफवाहों पर भरोसा कर आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर घटना को अंजाम देते हुए पाए गए. पिछले 25 दिनों में हुई मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 10 घायल हुए हैं. पीड़ितों में बोलने-सुनने में असमर्थ, मानसिक रूप से कमज़ोर और मजदूर तक शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक औरंगाबाद ग्रामीण, नंदूरबार और गोंदिया समेत 11 जिलों के पुलिस अधीक्षकों के अनुसार अधिकतर घटनाओं में पीड़ित स्थानीय निवासी नहीं पाए गए हैं. वहीं स्थानीय निवासियों की भीड़ ने वॉट्सऐप पर बच्चा चोरों को लेकर फैली अफवाहों को सच मानकर घटनाओं को अंजाम दिया है.

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इसे पढ़ें: अब महाराष्ट्र में हुई मॉब लिंचिंग, बच्चा चोर समझकर 5 लोगों की पीट-पीटकर हत्या

आइए नज़र डालते हैं ऐसी ही कुछ घटनाओं पर जिनमें अफवाहों की वजह से भीड़ द्वारा अचानक हिंसक घटनाएं हुईं:

5 जून: इस क्रम में पहली घटना महाराष्ट्र के लातूर की है, जहां स्थानीय भीड़ ने एक ऑटो चालक पर बच्चा चोरी का संदेह होने पर अचानक हमला बोल दिया. लातूर पुलिस के मुताबिक पीड़ित ऑटो चालक ने वह वर्दी नहीं पहन रखी थी, जिसे स्थानीय ऑटो चालक पहनते हैं. 25-30 लोगों की भीड़ ने बच्चा चोरी के संदेह में ऑटो चालक पर हमला बोल दिया. स्थानीय पुलिस ने घटनास्थल पर पहुँच कर पीड़ित को बचाया और आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हुई.

5 जून: दूसरी घटना नांदेड़ ग्रामीण पुलिस थाने से संबंधित है, जहां ओडीशा के रहने वाले दिवाकर दूदू, मजेकुमार जायसवाल और बादल चौहान पर झूठी अफवाह के चलते ग्रामीणों की भीड़ ने हमला बोल दिया. स्थानीय पुलिस ने बीच बचाव कर पीड़ितों को बचाया.

5 जून: तीसरी घटना चंद्रपुर की है. यहां एक बोलने-सुनने में असमर्थ युवक अपनी मोटर साइकिल में पेट्रोल भराने के लिए पंप की तलाश कर रहा था. उस पर ग्रामीणों की भीड़ ने हमला बोल दिया. घटना रात दस बजे की थी. पुलिस के अनुसार ग्रामीणों ने उससे पूछा कि वह कहां जा रहा है? इस पर युवक जवाब नहीं दे पाया. ग्रामीणों को लगा कि यह वही व्यक्ति है जिसे लेकर अफवाह है. लिहाजा भीड़ ने उस पर हमला बोल दिया.

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8 जून: औरंगाबाद जिले के वैजापुर तालुका के चांद गांव में फासे पारधी जनजातीय समूह से ताल्लुक रखने वाले 8 लोगों पर 300 ग्रामीणों की भीड़ ने हमला बोल दिया. इसमें से दो की मौत हो गई. पुलिस का कहना है कि घटना सुबह 5:30 बजे की है, जब शिकार पर आए जनजातीय समूह के लोगों पर बच्चा चोरी के शक में ग्रामीणों ने हमला बोल दिया. मरने वालों की पहचान भरत सोनवणे और शिवाजी शिंदे के तौर पर की गई.

11 जून: गोंदिया के गोरेगांव कस्बे में 25-30 लोगों की भीड़ ने मानसिक रूप से कमज़ोर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया. पुलिस के अनुसार पीड़ित गांव में घूम रहा था. गांव के चरवाहों ने उसके बारे में जानकारी मांगनी चाही, तभी अचानक भीड़ ने उसे घेर लिया और हमला बोल दिया. कुछ लोगों ने घटना का वीडियो भी बनाया, जिससे आरोपियों की पहचान कर पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया.

15 जून: औरंगाबाद छावनी क्षेत्र में मध्य प्रदेश के उज्जैन के रहने वाले मोहन सिधा और विक्रम भाटी पर एक दरगाह के बाहर भीड़ ने भेष बदलकर भीख मांगने के शक में हमला बोल दिया. पुलिस के अनुसार दोनों रमज़ान के दौरान इस क्षेत्र में अक्सर आते थे. दोनों ने रंग-बिरंगे कपड़े पहन रखे थे.

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19 जून: परभनी जिले के मशहूर सूफी मज़ार के बाहर लातूर के रहने वाले राजकुमार वर्शाल पर सुबह 2 बजे भक्तों की एक भीड़ ने हमला बोल दिया. पुलिस ने बीच-बचाव कर युवक को बचाया और भीड़ को हटाया.

18 जून: बीड जिले के मजलगांव में ग्रामीणों की भीड़ ने तमिलनाडु निवासी बिट्टू ईश्वर पर बच्चा चोरी के शक में तब हमला बोल दिया, जब वह सड़क पर मजदूरी करने के बाद गांव से गुज़र रहा था.

20 जून: इसी गांव में ग्रामीणों की भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में मानसिक रूप से कमज़ोर एक शख्स पर हमला बोल दिया.

29 जून: नंदूरबार के मसलवाट क्षेत्र में रात 8:30 बजे तीन ठेकेदार जो पंधरपुर से गन्ने के खेतों में काम कराने के लिए मजदूर लेने आए थे, उन पर ग्रामीणों ने हमला बोल दिया. पुलिस के अनुसार पीड़ितों में एक पूर्व कॉरपोरेटर है, जबकि दूसरा मुम्बई के एक डिप्टी पुलिस कमिश्नर का रिश्तेदार बताया जा रहा है. पुलिस का कहना है कि जब मजदूर उनकी गाड़ियों में सवार हुए, तब ग्रामीणों को लगा कि वे मजदूरों को अगवा कर रहे हैं. लिहाजा लगभग 1000 ग्रामीणों की भीड़ ने उन पर हमला बोल दिया.

1 जुलाई: जलगांव के तकरखेड़े क्षेत्र में चोरी के शक में पड़ोसी गांव के मानसिक रूप से कमज़ोर युवक को ग्रामीणों ने पीट दिया.

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1 जुलाई: मालेगांव में पुलिस ने शीघ्र कार्रवाई कर उन सात लोगों को गिरफ्तार किया जो खानाबदोश गोसावी जनजातीय समूह के एक परिवार पर हमले के आरोपी थे. पुलिस की इस कार्रवाई की वजह से स्थिति नियंत्रण में आईस जिससे एक बड़ी घटना होने से बचाया जा सका.

1 जुलाई: धुले के रैनपाड़ा में 3500 की संख्या में भीड़ ने खानाबदोश गोसावी समाज के पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया. घटना के वक्त पीड़ितों को बचाने के लिए गांव के उप प्रधान ने उन्हें ग्राम पंचायत भवन में बंद कर दिया, लेकिन ग्रामीणों में इतना गुस्सा था कि भीड़ ने दरवाजा तोड़कर 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. इस घटना के संबंध में पुलिस ने अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया है. 

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