बात दो दशक पहले की है, उस समय पटना के गोलघर को सबसे ऊंची इमारत माना जाता था, लेकिन पटना की आबादी और भौगोलिक विस्तार ने हालात बदल डाले हैं. बढ़ती आबादी और जमीन की कीमत में बढ़ोतरी से ऊंची इमारतों का कॉन्सेप्ट विकसित होने लगा है, जिसने पटना गांधी मैदान के समीप बिस्कोमान भवन, पटना म्यूजियम के पास उदयगिरी अपार्टमेंट और बोरिंग रोड में यमुना अपार्टमेंट के रूप में आकार लिया है. आने वाले समय में 22 मंजिला इमारतों के कई प्रोजेक्ट प्रोसेस में हैं, जिन्हें सरकार की हरी झंडी का इंतजार है.
पटना में यह कॉन्सेप्ट शहरीकरण की तेज रफ्तार की वजह से आकार लेने लगा है. वैसे तो, शहरीकरण के राष्ट्रीय औसत 33 फीसदी की तुलना में बिहार में यह 11.30 फीसदी है. लेकिन, बढ़ती आबादी का असर आवासीय और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की मांग पर पड़ा है. यह खरीदारों की मांग का नतीजा है कि आम्रपाली, वसुंधरा, नूतन, अर्थ इन्फ्रा, इंपीरिया जैसी कई बड़ी कंस्ट्रक्ïशन कंपनियों ने पटना का रुख किया है. पिछले तीन साल के अंतराल में रियल एस्टेट में निवेशकों की संख्या में ढाई सौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
पटना का भौगोलिक विस्तार 25-30 किमी तक हुआ है. मुश्किल यह कि पटना का बहुत बड़ा हिस्सा गंगा के तटीय इलाके से घिरा है, जिसकी वजह से पटना का विस्तार गंगा के उस पार हाजीपुर के अलावा दूसरी ओर दानापुर, बिहटा, मनेर और फतुहा तक फैला है. हालांकि ज्यादातर लोग पटना का मुख्य इलाका रेलवे स्टेशन से 15 किमी की परिधि तक मानते हैं, जहां ज्यादातर सरकारी और गैर-सरकारी इमारतें हैं. लिहाजा, फ्रेजर रोड, डाकबंगला रोड, बोरिंग रोड, पाटलिपुत्र, राजेंद्र नगर, कंकड़बाग इलाके में आवासीय और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की मांग ज्यादा है. लेकिन उस अनुपात में जमीन उपलब्ध नहीं है. सुमन होम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अभिनंदन कुमार सुमन कहते हैं, ''ऐसे लोगों की जरूरत ऊंची इमारतों से पूरी की जा सकती है. इसलिए रियल एस्टेट का रुझान अब ऊंची इमारतों की ओर है. ''
पटना म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्ट्रक्चरल डिजाइनर इंजीनियर मनोज कुमार कहते हैं, ''पुराने इलाके में अपार्टमेंटों के बीच सड़क की चौड़ाई अपेक्षाकृत काफी कम है. ऐसे हालात में ऊंची इमारतों का निर्माण किया जाना जोखिम भरा है. पहले की ज्यादातर इमारतों में भूकंपरोधी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है. ''
प्रदेश के नगर विकास मंत्री डॉ. प्रेम कुमार का कहना है, ''सरकार पटना को सुंदर और स्वच्छ शहर के रूप में विकसित करना चाहती है, जिसके लिए पुराने मास्टर प्लान को नए कानून के मुताबिक रिवाइज्ड किया जा रहा है. बिल्डिंग निर्माण के लिए नियम बनाए जा रहे हैं, जिसके आधार पर ऊंची इमारतों का निर्माण किया जा सकेगा. इसलिए फिलहाल 11 मीटर से ऊंची इमारतों के निर्माण पर रोक लगाई गई है. ''
पटना में सबसे ऊंची इमारत बिस्कोमान भवन है, जो ग्राउंड फ्लोर के अलावा 17 मंजिला है. इस इमारत में सरकारी और गैर-सरकारी ऑफिस हैं. पटना म्युजियम के करीब स्थित उदयगिरि अपार्टमेंट भी ऊंची इमारतों में शुमार है, जो ग्राउंड फ्लोर के अलावा 13 मंजिला है. हालांकि यह सब पुरानी इमारतें हैं.
पटना में रियल एस्टेट के विस्तार के लिए विधि व्यवस्था में सुधार, सड़कों के विस्तार और फ्लाइओवरों के निर्माण को प्रमुख कारक माना जाता रहा है. पांच साल में आठ किमी के छह ओवरब्रिज और फ्लाइओवर बनाए गए हैं. पटना रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का अहम ठिकाना है. पांच साल में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 34.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज हुई है. बिहार की स्थिति मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में काफी मजबूत हुई है.
यही नहीं, पटना एजुकेशनल हब के रूप में उभर रहा है, जिसके चलते यह राज्य के लोगों की पसंद बनता जा रहा है. द इंडिया सिटी कंपीटीटिवनेस 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 50 सर्वाधिक प्रतिस्पर्धा वाले शहरों में पटना 35वें स्थान पर है, जो उत्तर भारत में बेहतर है. वल्र्ड मेयर संस्था ने पटना को दुनिया के 100 बढ़ते शहरों में शामिल किया है. वल्र्ड बैंक ने सहज तौर पर बिजनेस शुरू करने के लिए रैंकिंग में दिल्ली के बाद पटना का नाम लिया है.
पटना में बंगले और विला का कॉन्सेप्ट अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है. लेकिन अपार्टमेंट के बाद डुप्लेक्स और टाउनशिप की ओर रियल एस्टेट ने पंख फैलाने शुरू कर दिए हैं. पिछले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट कारोबार में काफी मजबूती आई है, प्रमुख इलाकों में फ्लैटों की न्यूनतम कीमत 5,500 और दुकानों की 12,000 रु. öति वर्ग फुट पहुंच गई है.
यह कारोबार सरकार के लिए भी फायदेमंद रहा है. अप्रैल, 2012 से अपार्टमेंट की रजिस्ट्री फीस में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हुई है. यही नहीं, निजी क्षेत्र की अपार्टमेंट योजना की सफलता को लेकर नगर और आवास विभाग भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. अगले पांच साल में एक लाख फ्लैट बनाने का लक्ष्य है. डॉ. प्रेम कुमार के मुताबिक, ''अगले पांच साल में राज्य के चार शहरों में एक लाख फ्लैट बनने हैं. इसके पहले चरण में 25,000 फ्लैट बनने हैं जिसमें से 20,000 पटना में बनेंगे. '' पटना के बेली रोड, गोला रोड, सगुना मोड़, आरपीएस मोड़, डीएवी जैसे इलाकों में ऊंची इमारतों को लेकर सुगबुगाहट है. अब देर है तो सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने की.
अशोक कुमार प्रियदर्शी