हल्के लक्षण वाले मरीजों पर हुआ था कोरोनिल का ट्रायल, पतंजलि की रिपोर्ट में दावा

पतंजलि के द्वारा मंगलवार को कोरोनिल को लॉन्च किया गया, जिसमें दावा किया गया कि ये दवाई कोरोना वायरस को सौ फीसदी मात देती है. मंत्रालय की आपत्ति के बाद अब पतंजलि ने सरकार को रिसर्च पेपर सौंपा है.

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पतंजलि ने लॉन्च की है कोरोनिल पतंजलि ने लॉन्च की है कोरोनिल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 6:27 PM IST

  • पतंजलि की दवाई कोरोनिल पर मंथन जारी
  • क्लीनिकल ट्रायल जयपुर के NIMS में हुआ

  • पतंजलि ने मंत्रालय को सौंपा रिसर्च पेपर

कोरोना वायरस जैसी महामारी को मात देने वाली वैक्सीन अभी दुनिया में नहीं बनी है. लेकिन मंगलवार को योगगुरु रामदेव की संस्था पतंजलि ने इसकी दवाई बनाने का दावा किया और कोरोनिल को लॉन्च कर दिया. हालांकि, अभी आयुष मंत्रालय ने इस पर रोक लगा दी है और पूरी जानकारी मांगी है. अब जानकारी है कि पतंजलि की इस दवाई को कोरोना वायरस से पीड़ित किसी गंभीर मरीज पर नहीं परखा गया है, सिर्फ उन लोगों पर टेस्ट किया गया है कि जिनमें कोरोना वायरस के काफी कम लक्षण थे.

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आयुष मंत्रालय में पतंजलि की ओर से जो रिसर्च पेपर दाखिल किया गया है, उसके अनुसार कोरोनिल का क्लीनिकल टेस्ट 120 ऐसे मरीजों पर किया गया है, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण काफी कम थे. इन मरीजों की उम्र 15 से 80 साल के बीच थी और इसमें पुरुष तथा महिला दोनों वर्ग के लोग शामिल किए गए. ट्रायल के दौरान इन सभी को इसके बारे में बताया गया था और उनकी सहमति ली गई थी. इसके पूरे ट्रायल में 2 महीने का वक्त लगा.

रिसर्च पेपर में कहा गया कि आयुर्वेद के साथ कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए, हमने 100 से अधिक औषधीय पौधों इन-सिलिको से 1000 फाइटोकेमिकल्स की जांच की है. हमने COVID-19 में आवश्यक प्रोटीन और मेजबान प्रोटीन इंटरैक्शन के लिए उनके बाध्यकारी स्नेह की तलाश की तो हमने पाया कि अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी में नेचुरल फाइटोकेमिकल्स मौजूद हैं जो वास्तव में COVID-19 और इसकी रोगजनकता का मुकाबला करने की क्षमता रखते हैं.

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ट्रायल के दौरान मरीजों को दी गई दवा की मात्रा

टेबलेट स्वसारी रस: (500 मिलीग्राम)

टेबलेट शुद्ध अश्वगंधा अर्क: (500 मिलीग्राम)

टेबलेट शुद्ध गिलोय अर्क: (500 मिलीग्राम)

टेबलेट शुद्ध तुलसी अर्क: (500 मिलीग्राम)

अनु टेला (नैजल ड्रॉप)

(इन आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग निम्नलिखित खुराक में किया गया)

सुबह के वक्तः

ब्रेकफास्ट (कम से कम 60 मिनट पहले) - प्रत्येक नथुने में अनु टेला (नैजल ड्रॉप) की 4 बूंदें.

ब्रेकफास्ट (कम से कम 30 मिनट पहले) - स्वसारी रस 2 ग्राम (गुनगुने पानी के साथ)

ब्रेकफास्ट (कम से कम 30 मिनट बाद) - 2 टेबलेट्स शुद्ध गिलोय अर्क, 1 टेबलेट शुद्ध अश्वगंधा और 1 टेबलेट शुद्ध तुलसी का अर्क (गुनगुने पानी के साथ)

शाम के वक्तः

डिनर (कम से कम 30 मिनट पहले) - स्वसारी रस 2 ग्राम (गुनगुने पानी के साथ)

डिनर (कम से कम 30 मिनट बाद) - 2 टेबलेट्स शुद्ध गिलोय अर्क, 1 टेबलेट शुद्ध अश्वगंधा और 1 टेबलेट शुद्ध तुलसी का अर्क (गुनगुने पानी के साथ)

जयपुर में क्लीनिकल ट्रायल

पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से मंत्रालय को बताया गया कि ये क्लीनिकल ट्रायल जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में किया गया था. दावा किया गया कि उन्होंने हर नियम का पालन किया है, साथ ही आयुर्वेदिक साइंस सेंट्रल काउंसिल के डीजी को लूप में रखा था.

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आपको बता दें कि मंगलवार को जब पतंजलि ने कोरोनिल का ऐलान किया तो हर ओर इसी की चर्चा थी. लेकिन बाद में आयुष मंत्रालय ने इसके प्रचार पर रोक लगा दी और पतंजलि से इसकी हर जानकारी मांगी, मंत्रालय ने कहा कि वह इस दवाई के किसी भी दावे को नहीं जानते हैं.

पंतजलि के दावे के अनुसार, इस दवाई का पहला क्लीनिकल ट्रायल एक मरीज पर 29 मई को किया गया. इसमें 69 फीसदी रिकवरी शुरुआती तीन दिन और 100 फीसदी रिकवरी सात दिनों में किए जाने का दावा है. जल्द ही इसके पूरे रिजल्ट को जारी किया जाएगा.

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स्टडी में दावा किया गया कि इसके लिए आयुर्वेद के जरिए इलाज की कोशिशों को बढ़ाया गया. 100 मेडिकल प्लांट्स से इसकी स्क्रीनिंग की गई. साथ ही रिसर्च में पता लगा कि अश्वगंधा, गिलॉय और तुलसी से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलती है. इसकी जांच के लिए RT-PCR टेस्ट के आधार पर परखा गया, जो तीसरे, सातवें और चौदहवें दिन किया गया.

गौरतलब है कि मंगलवार दोपहर को पतंजलि के दावे के बाद आयुष मंत्रालय ने कंपनी से कुछ बेसिक जानकारी मांगी थी. जिसमें किन मरीजों पर टेस्ट किया गया, कहां और किस अस्पताल में ये टेस्ट हुआ. किस तरह का सैंपल साइज, क्या प्रक्रिया अपनाई गई और क्या रिजल्ट आया. इसके अलावा भी दवा से जुड़े कई सवालों को पूछा गया और पूरी संतुष्टि तक इस दवाई के प्रचार पर रोक लगा दी थी.

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(बिजनेस टुडे के लिए जॉय सी मैथ्यु की रिपोर्ट)

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