चीन ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को तवज्जो नहीं देने की कोशिश, जिसमें कहा गया है कि 50 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा 'सीपीईसी' परियोजना भारत के साथ ‘भू-राजनीतिक’ तनावों को और बढ़ा सकती है.
चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ से संबंधित इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कश्मीर को लेकर विवाद भी चिंता का विषय है क्योंकि सीपीईसी इससे होकर गुजर रही है और यह भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव पैदा कर सकता है और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ा सकता है.’’ संयुक्त राष्ट्र के एशिया-प्रशांत से जुड़े आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीपीईसी परियोजना से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन को हवा मिल सकती है.
रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने संवाददाताओं से कहा कि आयोग ने सीपीईसी पर नहीं, बल्कि बीआरआई पर रिपोर्ट जारी की है लू ने कहा, ‘‘सीपीईसी विवादित क्षेत्र से होकर गुजर रही है, ऐसे में मैं कई बार कह चुका है कि सीपीईसी एक आर्थिक पहल है और इससे कश्मीर मुद्दे पर हमारा रूख प्रभावित होने वाला नहीं है.
पकिस्तान सरकार ने इस परियोजना के दो संस्करण तैयार किए हैं. ये मास्टर प्लान 231 पेजों में हैं, जिसे चीन डेवलपमेंट बैंक (CDB) और नेशनस डेवलपमेंट रिफॉर्म कमीशन ने मिलकर तैयार किया है.खैबर पख्तुनख्वा प्रांत में 60 किलोमीटर लंबे चार लेन के वाहन मार्ग पर 29.7 करोड़ डॉलर की लागत आएगी और इसे पूरा होने में दो साल लगेगें.चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, शरीफ ने इस महीने की शुरुआत में अपनी चीन यात्रा के दौरान 45.6 अरब डॉलर मूल्य के सौदों पर दस्तखत किए थे, जिसमें गलियारे से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं.भारत ने इस गलियारे को लेकर चीन से आपत्ति जताई है, क्योंकि यह पाक अधिग्रहित कश्मीर से होकर गुजरता है. चीन ने यह कहते हुए परियोजना का बचाव किया है कि इससे क्षेत्रीय विकास में मदद मिलेगी.
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