ना सोनिया, ना राहुल, ना प्रियंका, श्रीप्रकाश जायसवाल बचाएंगे कांग्रेस को

सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं रहती, राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन परिणाम ज्यों का त्यों.. हार पर हार.. निगमों में हारे, राज्यों में हारे और लोकसभा चुनावों में भी हारे. हार पर हार.. लेकिन हार का सिलसिला जैसे बढ़ा, हार और निर्मम होती गई. जाहिर है समर्थकों और कार्यकर्ताओं का हौसला जवाब देना ही था. मांग उठी कि प्रियंका गांधी को लाया जाए.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं रहती, राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन परिणाम ज्यों का त्यों.. हार पर हार.. निगमों में हारे, राज्यों में हारे और लोकसभा चुनावों में भी हारे. हार पर हार.. लेकिन हार का सिलसिला जैसे बढ़ा, हार और निर्मम होती गई. जाहिर है समर्थकों और कार्यकर्ताओं का हौसला जवाब देना ही था. मांग उठी कि प्रियंका गांधी को लाया जाए.

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अमेठी और रायबरेली में राजनीतिक पर्यटन करने वाली प्रियंका गांधी ने इनकार कर दिया. मांग जारी रही, गलाफाड़.. लेकिन कार्यकर्ताओं की मांग पर ना सोनिया ने ध्यान दिया और ना राहुल. . लेकिन हार पर हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अब राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

कार्यकर्ताओं ने अब ना तो सोनिया की मांग की है, ना प्रियंका की नहीं, राहुल से तो वे नाराज ही है. लेकिन अब सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी का विरोध शुरू हो गया है. पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से अब सोनिया, प्रियंका के बजाय श्रीप्रकाश जायसवाल को पार्टी की पतवार थमाने की मांग उठनी शुरू हो गई है.

कानपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक तौर पर पोस्टर लगाकर राहुल गांधी को खारिज किया और उन्हें नादान और अहंकारी बता डाला. साथ ही गांधी परिवार के बाहर के नेताओं को कांग्रेस की पतवार थमानी की बात की गई है. ये पोस्टर कानपुर में हाजी शमीमुल हक ने लगवाए थे. पोस्टर में सोनिया गांधी को 'मम्मी' और राहुल को 'भइया' कहकर संबोधित किया गया है.

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हालांकि मजेदार बात ये है कि पोस्टर पर ऊपर सोनिया गांधी, राहुल गांधी की फोटो लगी है, राहुल गांधी जिंदाबाद लिखा है और पोस्टर के नीचे लिखे नारों में राहुल को अहंकारी और नादान बताया गया है. गौरतलब है कि श्रीप्रकाश जायसवाल का नाम कोयला घोटाले में भी आ चुका है. लोकसभा चुनावों में कानपुर लोकसभा सीट से मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें हराया था.

ऐसा नहीं है कि श्रीप्रकाश जायसवाल को कांग्रेस पार्टी में जिम्मेदारियां नहीं मिली, उन्हें जिम्मेदारी तो मिली, लेकिन जायसवाल कांग्रेस पार्टी का बेड़ा पार लगाने में नाकाम रहे. अब देखना ये है कि कनपुरिया कांग्रेसियों की मांग पर पार्टी आलाकमान कितना ध्यान देता है.

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