बच्चों की मौत पर बोले ओम बिड़ला- अस्पताल में सुविधाएं नहीं, एक बेड पर 3-3 बच्चे

लोकसभा स्पीकर और कोटा से सांसद ओम बिड़ला ने राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बहस का विषय नहीं है कि किस साल कितने बच्चे मारे गए. मेरा मानना है कि ऐसी चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जानी चाहिए कि एक साल में एक भी मौत न हो.

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ओम बिड़ला, लोकसभा स्पीकर (फाइल फोटो- पीटीआई) ओम बिड़ला, लोकसभा स्पीकर (फाइल फोटो- पीटीआई)

देव अंकुर

  • कोटा,
  • 29 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

  • कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते एक महीने में 77 बच्चों की मौत
  • कोटा सांसद ओम बिड़ला बोले, राज्य सरकार सुनिश्चित करे चिकित्सा सुविधा

राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत मामले ने तूल पकड़ लिया है. लोकसभा स्पीकर और कोटा से सांसद ओम बिड़ला जेके लोन अस्पताल पहुंचे और अस्पताल की हालात का जायजा लिया. बच्चों की असामयिक मौत को लेकर उन्होंने कहा कि  सह चिंता का विषय तो है ही साथ ही दुखदायी भी है. अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों की कमी और जगह की कमी के कारण तेजी से संक्रमण फैलने की संभावना है.

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जेके लोन अस्पताल को आधुनिक बनाने की जरूरत है. हर बिस्तर पर तीन बच्चे हैं, खिड़कियां टूटी हुई हैं.

राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि यह बहस का विषय नहीं है कि किस साल कितने बच्चे मारे गए. मेरा मानना है कि ऐसी चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जानी चाहिए कि एक साल में एक भी मौत न हो. सरकार को संवेदनशील होना चाहिए और ऐसे समय में जब 48 घंटे या एक महीने में इतनी मौतें हों तो तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.

मुख्यमंत्री ने दिया जांच का आदेश

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते एक महीने में 77 बच्चों की मौत हो गई है. इसकी वजह जीवन रक्षक उपकरणों की कमी हो सकती है. इस शिकायत के सामने आने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की जांच का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत की जांच के लिए एक टीम कोटा भेजी गई है. उन्होंने कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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अस्पताल सूत्रों ने कहा कि सिर्फ दिसंबर में 77 बच्चों की मौत हुई है, जबकि सोमवार व मंगलवार को 10 मौतें हुईं हैं.

गहलोत ने चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गलेरिया को कोटा का दौरा करने और तत्काल आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.

गलेरिया ने कोटा में कहा, "मुख्यमंत्री गहलोत ने मामले को गंभीरता से लिया है और इसलिए मैं नवजातों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए यहां आया हूं. एक स्पेशल कमेटी जांच करेगी कि क्या बच्चों की मौत की वजह हाईजीनिक या क्लिनिकल मुद्दे हैं या नहीं. इसके अलावा, सभी दूसरे मुद्दों को देखा जाएगा."

यह पूछे जाने पर कि स्टाफ की कमी के कारण अस्पताल प्रभावित हो रहा है, उन्होंने कहा, "मैं पूरी जांच के बिना टिप्पणी नहीं कर सकता. हम यहां कमी का पता लगाने की और समाधान भी खोजने की कोशिश कर रहे हैं."

सूत्रों ने कहा कि 535 जीवन रक्षक उपकरणों में से 320 काम नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा 71 इंफेंट वामर्स में से सिर्फ 27 काम कर रहे हैं. कुछ वेंटिलेटर भी सही तरह से काम नहीं कर रहे हैं.

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बच्चों की मौत लापरवाही की वजह से नहीं हुई: अस्पताल

हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार किया है. सीएमओ के सूत्रों ने पुष्टि की कि गहलोत मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और खुद जांच की निगरानी कर रहे हैं.

अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि सभी बच्चों को अस्पताल में गंभीर हालत में लाया गया था. अस्पताल अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा ने कहा, "हमारी जांच कहती है कि 10 मौतें सामान्य थीं और बच्चों की मौत लापरवाही की वजह से नहीं हुई है."

इसी तरह विभाग के प्रमुख (पीडियाट्रिक्स) अमृत लाल बैरवा ने कहा कि राष्ट्रीय एनआईसीयू के रिकॉर्ड के अनुसार, शिशुओं की 20 फीसदी मौतें स्वीकार्य हैं, जबकि कोटा में 10-15 फीसदी मौतें हुई हैं.

उन्होंने कहा कि बच्चों को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था.

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