NPS में बड़ा बदलाव, खाताधारकों को ये जानकारी देना हुआ अनिवार्य

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करने वालों के लिए अब अपना मोबाइल नंबर और बैंक खाते की जानकारी देना अनिवार्य हो गया है. वित्त मंत्रालय का दावा है कि इस नये नियम से एनपीएस से बाहर निकलना काफी आसान हो जाएगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करने वालों के लिए अब अपना मोबाइल नंबर और बैंक खाते की जानकारी देना अनिवार्य हो गया है. वित्त मंत्रालय का दावा है कि इस नये नियम से एनपीएस से बाहर निकलना काफी आसान हो जाएगा.

पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने इसकी घोषणा की है. सरकार के मुताबिक यह नया नियम सब्सक्राइबर्स के लिए एनपीएस में निवेश करना न सिर्फ आसान बनाएगा, बल्क‍ि इससे खाताधारकों को भी काफी आसानी होगी. एनपीएस खाते में ये बदलाव नये सब्सक्राइबर रजिस्ट्रेशन फॉर्म के जरिये किए जाएंगे.

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वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक पेंशन रेग्युलेटर पीएफआरडीए ने फॉरेन अकाउंट टैक्स कम्प्लायंस एक्ट (FATCA) और सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्योरिटी इंटरेस्ट (CERSAI) को मौजूदा और नये बनने वाले एनपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए अनिवार्य कर दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि यह मनी लॉन्ड्र‍िंग एक्ट की गाइडलाइन के हिसाब से हो.

बयान में कहा गया है कि एनपीएस में नया खाता खोलने वाले को नया रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा. इस दौरान उन्हें अन्य जरूरी डिटेल के साथ बैंक खाता और मोबाइल नंबर की डिटेल भी देनी होगी. मौजूदा एनपीएस सब्सक्राइबर्स FATCA स्वप्रमाण‍ित फॉर्म अपने लॉग इन में भर सकते हैं.  इस संबंध में ज्यादा जानकारी सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (CRA) की वेबसाइट पर भी दी गई है.

क्या है एनपीएस

नेशनल पेंशन स्कीम या नेशनल पेंशन सिस्टम अथवा एनपीएस एक रिटायरमेंट सेविंग्स अकाउंट है. इसकी शुरुआत भारत सरकार ने 1 जनवरी 2004 को की थी. पहले यह स्कीम सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई थी. हालांकि 2009 के बाद इसे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी शुरू किया गया है.

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