केंद्र की नई सरकार सरकारी दफ्तरों से सर्टिफिकेट बनवाने और वेरिफिकेशन के लिए पुलिस स्टेशन की दौड़ लगाने के झंझट से छुटकारा दिलाने की तैयारी में है. अब पुलिस जांच के दौरान पड़ोसियों से पूछताछ की बजाय आवेदक का सिर्फ क्राइम रिकॉर्ड देखा जाएगा. पुलिस के लिए 3 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपना भी जरूरी होगा. एक हिंदी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सरकार ने पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया में बदलाव का प्रस्ताव तैयार कर लिया है.
पासपोर्ट बनवाने, आवास, पेंशन, नौकरी या कोई और सरकारी सुविधा लेने या फिर आय, चरित्र, जाति आदि के प्रमाणपत्र बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. केंद्र ने राज्य सरकारों और अपने मंत्रालयों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि आम लोगों को एक सर्टिफिकेट बनवाने के लिए बेवजह परेशानी उठानी पड़ती है. कामकाज के लिए लोगों का तमाम जगहों पर आना-जाना लगा रहता है. राज्यों के अलग-अलग कानून होने से उन्हें हर जगह नए सिरे से सरकारी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं. ऐसे में सभी जगह एक जैसा कानून होना चाहिए.
ऐसे होगी आसानी
रेजिडेंशियल प्रूफ के रूप में 5 साल के बजाय 2 साल पुराने कागजात ही देखे जाएं. अगर कोई 2 साल से भी कम समय से कहीं रहा है, तो भी उसे सर्टिफिकेट देने से मना नहीं किया जाएगा. ऐसे मामले देखने के लिए राज्य सरकारें अलग अधिकारी नियुक्त करेंगी.
अगर किसी सरकारी अधिकारी की ओर से वेरिफिकेशन जरूरी है, तो इसकी बजाय आवेदक के घर के आसपास के कोई दो व्यक्ति उसे वेरिफाई कर सकते हैं. बशर्ते वेरिफाई करने वालों के पास आधार, राशन कार्ड या अन्य पहचान-पत्र हो. सुविधा सेंटर और उसकी वेबसाइट पर फॉर्म मिलेंगे. फॉर्म को इन सेंटरों पर जमा करके सर्टिफिकेट भी यहीं से जारी किए जाएंगे.
हालांकि, सरकार ने सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आवेदक की ओर से कोई भी गलत सूचना देने पर कड़ी सजा का प्रावधान भी किया है. इसके तहत, गलत सूचना देने पर एक साल की जेल, गलत प्रूफ देने पर 3 साल की जेल और जानबूझकर सूचना छिपाने पर 2 साल की जेल हो सकती है.
aajtak.in