नोटबंदी का एक साल: अरुण जेटली ने बताई आगे की राह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के प्रचलित नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इसे काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के सरकारी प्रयास बताया गया.

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अरुण जेटली अरुण जेटली

साद बिन उमर

  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के एक साल पूरा होने के मौके पर आगे की राह बताई है. जेटली ने बताया कि सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर्ज मुहैया कराएगी और इसके लिए बैंकों की खाताबही को दुरुस्त करने का काम चल रहा है.

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) हेडक्वाटर के नए दफ्तर के उद्धघाटन के मौके पर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का इरादा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर्ज मिले, बैंक ज्यादा से ज्यादा लोगों को ऋण मुहैया कराएं. उन्होंने कहा कि आज भी बैंकों की जिम्मेदारी मुश्किल है. बैंकिंग अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन है और आने वाले दिनों में यह बढ़ने वाला है. यह तय है कि स्वस्थ बैंकिंग से ही देश की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी.

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जेटली ने कहा कि अगर सिर्फ व्यावसायिक और खुदरा बाजार पर ही बैंक ध्यान दें तो बैंकों को अपने खाताबही देखने में बड़ा आनंद आएगा, लेकिन बैंकों को सामाजिक जिम्मेदारी भी निभानी है और दूर-दराज के क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधा भी पहुंचानी है. उन्होंने कहा कि गांव से लेकर भारी उद्योग तक बैंकों को जिम्मेदारी उठानी होगी.मनमोहन ने कहा - मोदी मानें अपनी गलती

वित्त मंत्री ने इसके साथ ही कहा कि अर्थव्यवस्था में सरप्लस कैश की अपनी लागत होती है और भारत धीरे-धीरे डिजिटल लेन देन की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि देश में स्पष्ट रूप से एक बदलाव हो रहा है और डिजिटल भुगतान को अपनाया जा रहा है.

अरुण जेटली ने कहा कि कुछ लोगों को यह तथ्य स्वीकार करने में दिक्कत है कि कैश ट्रांजैक्शन के मुकाबले डिजिटल ट्रांजैक्शन में तेज वृद्धि दर्ज की गई. उन्होंने कहा, 'नकदी पर बहुत ज्यादा निर्भरता की अपनी लागतें हैं. इसमें लागत ही नहीं लगती है, बल्कि यह समाज व अर्थव्यवस्था के लिए अभिशाप भी है.'

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वित्त मंत्री ने कहा कि देश में स्पष्ट रूप से एक बदलाव हो रहा है और डिजिटल भुगतान को अपनाया जा रहा है. यह अचानक ही नहीं होगा बल्कि कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर आंदोलन स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि इससे बैंकों में जमाएं बढ़ेंगी वे सस्ती दरों पर कर्ज देने में सक्षम होंगे.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के प्रचलित नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इसे काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के सरकारी प्रयास बताया गया. उसके बाद से ही केंद्र सरकार डिजिटल भुगतान व लेनदेन को बढ़ावा दे रही है, ताकि देश कम नकदी चलन वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ सके. वहीं विपक्षी दलों ने नोटबंदी की आलोचना की है और उनकी 8 नवंबर को देश भर में काला दिवस मनाने की योजना है.

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