बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को महागठबंधन ने संयुक्त रूप से उम्मीदवारों का ऐलान किया. प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करते हुए जेडीयू नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में समाज के सभी वर्गों को शामिल किया गया है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार ने कहा, 'महागठबंधन में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. पहले सीटों का बंटवारा हुआ. फिर हमने लंबी चर्चा के बाद उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया और फिर जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस की संयुक्त सूची लेकर हम हाजिर हैं.'
नीतीश ने बताया कि महागठबंधन की ओर से जिन लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है, उसमें जनरल कटैगरी के 16 फीसदी, बैकवर्ड क्लासेज के 55 फीसदी, एसटी-एससी के 16 फीसदी और मुस्लिम-माइनॉरिटी के 14 फीसदी प्रत्याशी शामिल हैं. अभी 242 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है. महागठबंधन ने 39 सीटों पर जनरल कटैगरी के उम्मीदवार उतारे हैं. 134 पर बैकवर्ड क्लासेज, 40 पर एससी-एसटी और 33 सीटों पर मुसलमानों को जगह दी गई है. कुल 25 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को मौका दिया गया है.
महागठबंधन ने जिन 33 मुसलमानों को उम्मीदवार बनया है, उनमें 33 पसमांदा हैं. इसके लिए सामान्य वर्ग के 39 उम्मीदवारों में 14 राजपूत, 11 ब्राह्मण, 9 भूमिहार और 5 कायस्थ शामिल हैं.
'विकास ही है हमारा मुद्दा'
महागठबंधन की ओर से सीएम पद के प्रत्याशी नीतीश कुमार ने कहा कि वह और उनका गठबंधन विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ने वाला है. यही उनका सबसे अहम मुद्दा है. बीजेपी नीत गठबंधन पर प्रहार करते हुए सीएम ने कहा, 'आप देख रहे होंगे कि बीते कुछ हफ्तों से उनके अंदर खूब खींचतान चल रही है. खैर यह उनका मुद्दा है, हमारे यहां ऐसा नहीं होता.' नीतीश ने बीजेपी पर विभाजन की राजनीति करने का आरोप लगाया.
संघ प्रमुख भागवत पर साधा निशाना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी बयान पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वह संविधान के खिलाफ जाना चाहते हैं. सीएम ने कहा, 'वह चाहते हैं कि जो संवैधानिक व्यवस्था है उससे इतर एक दूसरी व्यवस्था बनाई जाए. वो चाहते हैं कि कमिटी बने जो तय करे कि किसे आरक्षण दिया जाए और कितने दिनों तक दिया जाए. यानी वो चाहते हैं कि एलिट कमिटी बने, जो आरक्षण को लेकर नीति बनाए. मतलब कि सरकार भी इसमें शामिल नहीं हो.'
उम्मीदवारों की पूरी सूची-
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