Nitin Gadkari के एक और बयान से तूफान, कहा- अगर MP-MLA हारते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा नेतृत्व को हार की जिम्मेदारी लेने वाले बयान को लेकर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि एक बार फिर उनके बयान को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है.

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (फोटो-ट्विटर/@nitin_gadkari) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (फोटो-ट्विटर/@nitin_gadkari)

कमलजीत संधू

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:42 AM IST

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिली हार की जिम्मेदारी लेने वाले बयान पर सफाई देने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक और विवादित बयान दे दिया है. गडकरी ने अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी आलाकमान के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा है कि यदि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद और विधायक अच्छा नहीं करते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा?

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देश की राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में 31वें इंटेलिजेंस ब्यूरो एंडोमेंट लेक्चर में आईबी के अधिकारियों के समक्ष केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह बात कही, जब बीजेपी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवा बैठी. बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा के इन चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था. इससे पहले गडकरी के पुणे में सहकारी बैंक कर्मचारियों के एक कार्यक्रम में दिए गए बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि हार का क्रेडिट लेने की हिम्मत नेतृत्व में होनी चाहिए और जब तक नेतृत्व हार का क्रेडिट खुद के कंधों पर नहीं लेगा तब तक संस्था के प्रति उनकी लॉयल्टी और कटिबद्धता सिद्ध नहीं होगी.

हालांकि बाद में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सफाई देते हुए कहा था कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया और उनका बयान बैंकिग और बिजनेस सेक्टर के संदर्भ में था. जिसके बाद उन्होंने ट्वीट किया कि, 'वे हमेशा के लिए साफ कर देना चाहते हैं कि मेरे और बीजेपी नेतृत्व के बीच में दरार पैदा करने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी. मैने अपनी पोजीशन विभिन्न फोरम पर स्पष्ट की है और आगे भी करता रहूंगा और हमारे विरोधियों के नापाक मंसूबों को उजागर करता रहूंगा.'

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गडकरी ने आईबी अधिकारियों के सामने साफगोई से अपनी बात रखते हुए कहा कि चुनाव जीतना अच्छा है लेकिन अगर हम सामाजिक-आर्थिक सुधार के माध्यम से लोगों के जीवन में परिवर्तन नहीं ला पाए तो, यह कोई मायने नहीं रखता कि आप कब सत्ता में आए या सत्ता से बेदखल हो गए. चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम पास होते हैं तो चुनावों में पास होते हैं और अगर हम फेल होते हैं तो हम पांच सालों में फेल होते हैं.

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