जानें, कब है निर्जला एकादशी, क्या है इसका महत्व?

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था और मूर्छित हो गए थे, अतः इसको भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है.

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निर्जला एकादशी 2018 निर्जला एकादशी 2018

प्रज्ञा बाजपेयी

  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2018,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था और मूर्छित हो गए थे, अतः इसको भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है. इसके अलावा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष , चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है. इस दिन अच्छे स्वास्थ्य तथा सुखद जीवन की मनोकामना पूरी की जा सकती है. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 23 जून को रखा जाएगा.

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क्या है विधि निर्जला एकादशी के उपवास की?

- प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें .

- इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें.

- उन्हें पीले फूल , पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें .

- इसके बाद श्री हरि और माँ लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें .

- किसी निर्धन व्यक्ति को जल का , अन्न-वस्त्र का , या जूते छाते का दान करें .

- आज के दिन वैसे तो निर्जल उपवास ही रक्खा जाता है ,

- परन्तु आवश्यकता होने पर जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है.  

निर्जला एकादशी पर क्या करें?

- इस दिन केवल जल और फल ग्रहण करके उपवास रक्खें

- प्रातः और सायंकाल अपने गुरु या भगवान विष्णु की उपासना करें

- रात्रि में जागरण करके अगर श्री हरि की उपासना अवश्य करें

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- इस दिन ज्यादा से ज्यादा समय मंत्र जाप और ध्यान में लगाएं

- जल और जल के पात्र का दान करना विशेष शुभकारी होगा

निर्जला एकादशी के व्रत का समापन कैसे करें?

- अगले दिन प्रातः स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करें

- इसके बाद निर्धनों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करें

- फिर नीम्बू पानी पीकर व्रत समाप्त करें

- पहले हल्का भोजन ही करें तो उत्तम होगा

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