SC ने निर्भया डॉक्युमेंट्री में अपमानजनक टिप्पणी के लिए वकीलों से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर गैंगरेप घटना के दोषियों की पैरवी कर रहे दो वकीलों से मंगलवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वकीलों के खिलाफ एक महिला अधिवक्ताओं के निकाय ने डॉक्युमेंट्री 'इंडियाज डॉटर' में महिलाओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कार्रवाई की मांग की है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर गैंगरेप घटना के दोषियों की पैरवी कर रहे दो वकीलों से मंगलवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वकीलों के खिलाफ एक महिला अधिवक्ताओं के निकाय ने डॉक्युमेंट्री 'इंडियाज डॉटर' में महिलाओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कार्रवाई की मांग की है. जज वी गोपाल गौड़ा और जज सी नागप्पन की बेंच ने कहा, 'हमने दलीलों, तर्क-वितर्क और याचिका में की गई शिकायतों को सुना है. तथ्यात्मक और कानूनी दलीलों के मद्देनजर मामले पर विचार करने की आवश्यकता है.'

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बेंच ने दोनों वकीलों एमएल शर्मा और एपी सिंह को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते के भीतर उनसे जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट वुमन एडवोकेट एसोसिएशन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि दोनों वकीलों के शीर्ष अदालत परिसर में प्रवेश पर रोक लगाई जाए. इसमें आरोप लगाया गया था कि डॉक्युमेंट्री में उनकी टिप्पणियां अमानवीय, लज्जाजनक, अनुचित, पक्षपातपूर्ण, अपमानजनक और दूषित सोच की परिचायक हैं. महिलाओं की गरिमा का सीधा अपमान और उल्लंघन हैं. खासकर उनके लिए जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने महिला अधिवक्ता एसोसिएशन की याचिका का समर्थन किया है.

महिला एसोसिएशन की पैरवी कर रहीं वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसका नेतृत्व करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि इस तरह के विचार कतई बर्दाश्त के काबिल नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'हमें एक ऐसे माहौल की आवश्यकता है, जहां हम निडर हों.' उन्होंने कहा कि दोनों अधिवक्ताओं को संवेदनशील बनाए जाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता नियमन का उपयोगी और उचित कार्यान्वयन होना चाहिए.

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उन्होंने कहा, 'एससीबीए ने शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने का एकमत से फैसला किया है. याचिका में कहा गया था कि शीर्ष अदालत में काम कर रही महिला वकीलों के संविधान में प्रदत्त बुनियादी अधिकारों का संरक्षण किया जाए, जिससे वे गरिमा के साथ बिना किसी लैंगिक भेदभाव के काम कर सकें. टिप्पणियां 16 दिसंबर 2012 की गैंगरेप की घटना पर बनाई गई डॉक्युमेंट्री इंडियाज डॉटर में की गई थीं.

वकील महालक्ष्मी पावनी के जरिए दायर की गई याचिका में लैंगिक संवेदनशीलता समिति अध्यक्ष और शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को पक्ष बनाया गया है और दोनों अधिवक्ताओं की टिप्पणी की प्रति सौंपी गई है. याचिका में यह भी कहा गया कि शर्मा और सिंह को निर्देश दिया जाए कि वे ऐसे विचार व्यक्त करने के लिए मीडिया में सार्वजनिक रूप से माफी मांगें जो महिलाओं की गरिमा के पूरी तरह खिलाफ हैं और वे भविष्य में इस तरह के बयान न दें.

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