सुप्रीम कोर्ट में आस्था Vs अधिकार के मुद्दे पर सुनवाई, सबरीमाला की रिव्यू पिटीशन पर विचार

तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सबरीमाला पर फैसले देते हुए कहा था कि मुद्दा सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि इसका असर मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा.

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सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद (फाइल फोटो-PTI) सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

  • कोर्ट में नौ जजों की बेंच करेगी सुनवाई
  • सबरीमाला पर 60 रिव्यू पिटीशन भी दायर
  • धार्मिक आजादी और नैतिकता से जुड़ा मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की बेंच सोमवार को आस्था बनाम अधिकार से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करेगी. यह बहस सबरीमाला मंदिर में महिलाओं से भेदभाव के बाद शुरू हुई थी जिसपर कोर्ट ने पिछले साल फैसला सुनाते हुए सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी. अब कोर्ट की बड़ी बेंच इस दायरे में आने वाले मुद्दों पर सुनवाई के लिए तैयार है.

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सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मुद्दे पर पहले सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच को फैसला देना था, लेकिन कोर्ट ने इसके व्यापक असर को देखते हुए 3-2 के मत से याचिकाएं बड़ी बेंच को सौंप दी थीं. हालांकि, कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के फैसले को कायम रखते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया था.

बेंच में सबरीमाला के जज नहीं

आज की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ जजों की बेंच में होगी जिसमें जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस एम. एम. शांतनगौडर, जस्टिस एस. ए. नजीर, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. इस बेंच में सबरीमाला केस से जुड़ी पीठ के किसी जज को शामिल नहीं किया गया है, जिसमें जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस ए.एन खनविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थे.

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तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सबरीमाला पर फैसले देते हुए कहा था कि मुद्दा सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि इसका असर मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. कोर्ट ने इस बारे में न्यायिक नीति और मिसाल पेश करने की बात कही थी और इसी मकसद से बेंच को यह मसला सौंपा गया था.

कोर्ट में दायर 60 याचिकाएं

अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई होगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने अब सात मुख्य मुद्दे हैं जिनपर सुनवाई होनी है. इनमें अनुच्छेद 25 और 26 से जुड़ा धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक नैतिकता को परिभाषित करने का मुद्दा शामिल है. साथ ही इस बेंच को ऐसे मामलों में जुड़ी करीब 60 याचिकाओं पर सुनवाई करनी है जो सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के आदेश पर पुनर्विचार के लिए दायर की गई हैं.

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