...पत्रकार के घर जन्मीं नीरजा भनोत, जब बनीं 'हीरोइन ऑफ हाईजैक'

मौत सामने देखकर लोग भाग जाते हैं और कुछ दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए मौत को ही गले से लगा लेते हैं... जानें नीरजा भनोत की जिंदगी के बारे में.

Advertisement
Neerja Bhanot Neerja Bhanot

वंदना भारती

  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

23 साल की एक लड़की, जो हर एक आम लड़की तरह थी. दिल खोल कर जीने वाली, जिसे राजेश खन्ना के गाने पसंद थे. खूबसूरत और चुलबली होने के साथ वह एक हिम्मत वाली लड़की भी थी. तभी तो वह इतनी कम उम्र में 'हीरोइन ऑफ हाईजैक' बन गई.

जानें नीरजा भनोत के बारे में

नीरजा का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई चंड़ीगढ़ के सैकरेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (Sacred Heart Senior Secondary School) से की, लेकिन बाद में उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. नीरजा ने मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.

Advertisement

भारत में बढ़ी चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च, ऐसे रखें बच्चों को सेफ

उनका जन्म पत्रकार हरीश भनोत और रमा भनोत के घर 1963 में हुआ था. उनके माता-पिता ने जन्म से पहले ही तय कर लिया था कि अगर उनके घर बेटी का जन्म हुआ तो वे उसे 'लाडो' कहकर बुलाएंगे.

साल 1985 में एक बिजनेसमैन के साथ नीरजा की अरेंज मैरिज हुई. शादी के बाद वो अपने पति के साथ खाड़ी देश चली गईं. जहां उन्हें दहेज के लिए यातनाएं दी जाने लगीं. नीरजा इन सबसे इतना तंग आ गईं कि शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और फिर वापस नहीं लौटीं.

मुंबई लौटने के बाद उन्होंने कुछ मॉडलिंग कॉन्ट्रेक्ट पूरे किए और उसके बाद पैन एम एयरलाइन्स ज्वाइन किया. इस दौरान उन्होंने एंटी-हाईजैकिंग कोर्स भी किया.

Advertisement

इसके बाद नीरजा को मॉडलिंग असाइनमेंट मिला जिसके बाद उनके मॉडलिंग करियर की शुरुआत हुई. नीरजा अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन थीं और अक्सर उनके डायलॉग बोला करती थीं. नीरजा ने लगभग 22 विज्ञापनों में काम किया था. नीरजा तब केवल 22 साल की थीं जब उनकी शादी कर दी गई. मार्च 1985 में 22 साल की उम्र में उनकी अरेंज्ड मैरिज हुई .

नीरजा ने जब फ्लाइट अटेंडेंट की जॉब के लिए 'पैन एएम' में एप्लाई किया तब वह एक सक्सेसफुल मॉडल थीं. साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए एप्लाई किया और सेलेक्शन के बाद उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर ट्रेनिंग के लिए मियामी और फ्लोरिडा भेजा गया लेकिन वो वापिस पर्सर के तौर पर आईं. पैन एएम के साथ- साथ ही नीरजा मॉडलिंग भी कर रही थीं.

...कौन हैं रोहिंग्या? जिन्हें कोई भी देश अपनाने को तैयार नहीं

5 सिंतबर 1986 को यानी नीरजा के 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद लोगों ने हाईजैक कर लिया. इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे. जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए.

Advertisement

ये चारो आतंकवादी चाहते थे कि फ्लाइट को साइप्रस ले जाया जाए जहां वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करवा सकें. ये आतंकी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकीयों को नुकसान पहुंचा रहे थे. प्लेन हाईजैक करने के कुछ समय बाद उन्होंने एक अमेरिकी को प्लेन के गेट पर लाकर गोली मार दी. आतंकियों ने नीरजा को सभी पैसेंजर्स के पासपोर्ट इकट्ठे करने को कहा जिससे वो यह पहचान सकें कि कौन से यात्री अमेरिकी हैं.

प्लेन को हाईजैक करने के 17 घंटे बीतने के बाद आतंकियों ने यात्रियों की हत्या करनी शुरू कर दी. नीरजा ने हिम्मत दिखाते हुए इमरजेंसी गेट खोल दिया और उन्होंने पैसेंजर्स को वहां से निकालना शुरू किया.

जिस समय वो तीन बच्चों को विमान से बाहर सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रही थीं उसी वक्त एक आतंकवादी ने उन पर बंदूक तान दी. मुकाबला करते हुए नीरजा वहीं शहीद हो गईं.

नीरजा की बहादुरी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूर कर दिया.

इन 6 फिल्मों को देखकर, आपको भी याद आ जाएंगे आपके टीचर्स

नीरजा की याद में एक संस्था नीरजा भनोट पैन एम न्यास की स्थापना की गई है. जो महिलाओं को उनके साहस और वीरता के लिए सम्मानित करती है.

Advertisement

भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया. नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला रहीं. इतना ही नहीं, नीरजा को पाकिस्तान सरकार की तरफ से 'तमगा-ए-इंसानियत' और अमेरिकी सरकार की तरफ से 'जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड' से भी नवाजा है.

एक इंटरव्यू में बात करते हुए नीरजा के भाई अनीश भनोट ने कहा कि नीरजा हमेशा कहा करती थी कि अपना काम करो और अन्याय बर्दाश्त नहीं करो. यही बात इस वक्त मैं आपसे कह सकता हूं.

नीरजा भनोत ने 1986 में अपनी बहादुरी से पैन-एम फ्लाइट के 359 यात्रियों की जान बचाई थी. उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया था.

नीरजा सबसे कम उम्र में 'अशोक चक्र' पाने वाली शख्स‍ियत हैं.

उनकी बाहुदरी के लिए नीरजा को पाकिस्तान सरकार ने 'तमगा-ए-इंसानियत' का अवार्ड दिया.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement