भारत ने डिजिटल क्षेत्र में आतंकवादी ताकतों के प्रवेश को रोकने के लिए समन्वित कार्य करने की अपील की. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साइबर जगत के संचालन से जुड़े मुद्दों पर पेरिस शांति मंच पर कहा कि महत्त्वपूर्ण ढांचों पर साइबर हमलों के साथ ही खास तरह के सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए देशों को तेज कार्रवाई और इसे कम करने की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन उपलब्ध आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी कंटेंट को खत्म करने के लिए क्राइस्टचर्च अपील को भारत का समर्थन है. विदेश मंत्री ने कहा कि यह इस देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह एक जैसा सोचने वाले देशों के साथ काम करना चाहता है. यह इसलिए ताकि संपूर्ण डिजिटल जगत हमारी सुरक्षा को जोखिम में डाले बिना हमारे समाज एवं अर्थव्यवस्थाओं को आगे ले जाने में काम आए.
ऑनलाइन आतंकवाद से निपटने और इंटरनेट को सुरक्षित रखने की बड़ी पहल शुरू करने में भारत फ्रांस, न्यूजीलैंड, कनाडा और कई अन्य देशों के साथ शामिल हुआ है.
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक नियमन पर सहमति भले ही न बन रही हो लेकिन एक वैश्विक समझ बनाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो कि साइबर क्षेत्र मुक्त एवं सुरक्षित बना रहे. उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुपक्षवाद पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है.
जयशंकर ने कहा कि साइबर क्षेत्र एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियां आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, औद्योगिक और यहां तक कि व्यावहारिक परिवर्तन में भी अहम भूमिका निभाती हैं.
'साइबर खतरों को लेकर हम चिंतित'
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ये राष्ट्रीय सीमाओं में संचालित होते हैं लेकिन इनकी प्रकृति किसी सीमा से बंधी नहीं होने की है. यह सीमित अवसर देते हैं लेकिन यह हमें कई सारी चिंताओं के अनछुए क्षेत्र के संपर्क में भी ले आते हैं.
जयशंकर ने कहा कि भारत जैसे बड़े विकासशील देश ने विश्व के सबसे बड़े डिजिटल प्रौद्योगिकी कार्यक्रम ‘डिजिटल इंडिया’ की शुरुआत की थी जिसका मकसद सभी नागरिकों तक डिजिटल अवसंरचना को पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि हम डिजिटल अवसरों को लेकर उत्साहित हैं लेकिन हम साइबर क्षेत्र के खतरों के प्रति चिंतित भी हैं.
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