नयनतारा सहगल और नंद किशोर भारद्वाज ने स्वीकारा लौटाया हुआ अकादमी पुरस्कार

लेखिका नयनतारा सहगल और राजस्थानी लेखक नंद किशोर भारद्वाज ने असहिष्णुता के खिलाफ अपना लौटाया हुआ अवॉर्ड वापस ले लिया है. इन दोनों को अकादमी ने यह कहते हुए अवॉर्ड वापस भेज दिया था कि यह नीति के खिलाफ है.

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नयनतारा सहगल नयनतारा सहगल

विकास वशिष्ठ

  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:10 PM IST

असहिष्णुता के खिलाफ अपने साहित्य अकदामी अवॉर्ड लौटाने वाले लेखक अब दोबारा अपने अवॉर्ड वापस लेने लगे हैं. एक नाम इनमें नयनतारा सहगल का भी है. उन्होंने हाल ही में अपना अवॉर्ड वापस ले लिया है. जवाहर लाल नेहरू की भांजी सहगल उदय प्रकाश के साथ अवॉर्ड लौटाने वाले पहले साहित्यकारों में से एक थीं. इन दोनों के अलावा 9 और साहित्यकारों ने दोबारा अपने अवॉर्ड वापस लेने की बात कही है.

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नंद भारद्वाज ने भी लिया वापस
राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज ने कहा कि इस पूरे मसले पर साहित्य अकादमी की प्रतिक्रिया से वह संतुष्ट हैं. इसलिए उन्होंने भी अपना अवॉर्ड वापस ले लिया है. हालांकि ये दोनों साहित्य जगत में मिसाल कायम कर सकते हैं, लेकिन इस मसले पर पहले ही दो धड़ों में बंटी साहित्यकारों की बिरादरी अब और खंडित हो रही है.

अकादमी ने कहा- दिया अवॉर्ड वापस लेना नीति नहीं
सहगल ने कहा, अकादमी ने मुझे एक चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि 'लौटाया हुआ अवॉर्ड रिसीव करना हमारी नीति के खिलाफ है. इसलिए हम यह अवॉर्ड आपको वापस भेज रहे हैं.' सहगल ने अपना एक लाख रुपये का चेक लौटा दिया था. दोनों लेखकों ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में अवॉर्ड वापस लेने की पुष्टि की है.

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1986 के उपन्यास के लिए मिला था पुरस्कार
88 साल की नयनतारा को साहित्य अकादमी पुरस्कार 1986 में आए उनके उपन्यास 'रिच लाइक अस' के लिए दिया गया था. उन्होंने अवॉर्ड लौटाते हुए कहा था, मोदी के राज में हम पीछे की तरफ जा रहे हैं. हिंदुत्व के दायरे में सिमट रहे हैं. भारतीय खौफ में जी रहे हैं. उन्होंने साहित्य अकादमी पर भी चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाया था.

अपने फैसले पर अड़े वाजपेयी
हिंदी साहित्य के दिग्गज कवि अशोक वाजपेयी अपने फैसले पर अडिग हैं. उन्होंने कहा कि 'मुझे भी अकादमी से चिट्ठी मिली है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे इसकी प्रतिष्ठा वापस आ जाती है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए लौटाए हुए अवॉर्ड को दोबारा लेने का कोई कारण शेष है.'

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