क्यों करते हैं नागदेवता की पूजाहमारे धर्म ग्रंथों में नागदेवता का संबंध भगवान शिव से और भगवान विष्णु से माना गया है. भगवान शिव ने नागदेवता को गले में धारण किया है और भगवान विष्णु शेषनाग के सिंहासन पर शयन करते हैं. हमारी संस्कृति नागदेवता को रक्षक मानती है.
नागपंचमी: कुंडली के दोष और आर्थिक तंगी दूर करने के लिए करें ये उपाय
भारत कृषि प्रधान देश है ऐसी मान्यता है कि नागदेवता खेतों की रक्षा करते है, फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जीव जंतुओं को खेतों से दूर रखते हैं, चूहे, किड़े, मकोड़े अक्सर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन नागदेव के भय से ऐसे जीव खेतों से दूर रहते हैं. इसलिए किसान नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करते हैं.
नागपंचमी का राहु-केतु से कनेक्शनभारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि आपके जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा है यदि आपके काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, यदि आपकी कुंडली में सारे ग्रह राहु-केतु के बीच हैं तो सावन महीने की पंचमी के दिन राहु-केतु की शांति के लिए विशेष पूजन कर सकते हैं.
राहु को प्रतीक रूप में सर्प का मुख माना जाता है इसलिए नागपंचमी के दिन इसकी शांति का विशेष महत्व है. सावन का महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है भगवान शिव सर्प को गले में धारण करते हैं इसलिए सावन मास की पंचमी तिथि को राहु-केतु से संबंधित दोष की शांति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता हैराहु-केतु की शांति के लिए कैसे करें पूजनराहु-केतु की शांति के लिए भगवान शिव का पूजन करें, भगवान शिव को जल, बेलपत्र, दूध, दही, घी अर्पित करें, चांदी या तांबे के नाग-नागिन बनवाकर शिवलिंग पर अर्पित करें, शिव जी की आरती करें, राहु-केतु से संबंधित दोष दूर करने के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करें .
नागपंचमी पूजा का मुहूर्त
सुबह 7.10 से 8.25 बजे तक
वंदना भारती