कथित असहिष्णुता के विरोध में साहित्यकारों द्वारा सम्मान लौटाए जाने के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संस्कृति और साहित्य के सिपाहियों पर स्वार्थ और सियासत का साया ठीक नहीं. रविवार को उन्होंने कहा कि कला और कलम को देश में बिखराव-टकराव का हिस्सा नहीं बल्कि शांति, सौहार्द, समृद्धि का जरिया बनाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि साहित्यकारों-कलाकारों को सम्मान समाज में उनके योगदान के लिए दिया जाता है और उन्हें उनको दिए जाने वाले सम्मान की प्रतिष्ठा का ध्यान रखना चाहिए. नकवी ने संगीत सम्मान अवॉर्ड ‘ट्रेडिशन्स 2015’ को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दिनों देश में जो कुछ देखने को मिला, वह दुर्भाज्ञपूर्ण था.
बिहार चुनाव के साथ खत्म हो गया दुष्प्रचार
मोदी सरकार में मंत्री ने कहा, 'कुछ साहित्यकारों-कलाकारों ने तथाकथित असहिष्णुता के नाम पर अपने सम्मान वापस किए. यह सम्मान वापसी अभियान पूरी तरह से सुनियोजित राजनीतिक दुष्प्रचार था, जो बीजेपी विरोधी राजनैतिक दलों और उनके सहयोगियों ने बिहार चुनाव के लिए चलाया था. बिहार चुनाव खत्म होते ही पुरस्कार वापसी अभियान भी खत्म हो गया.'
नवकी ने आगे कहा कि कला-कलम का सियासी सौदा होना सांस्कृतिक सम्मान का अपमान है. उनके मुताबिक, अब ये साफ हो चुका है कि पिछले दिनों का पुरस्कार वापसी अभियान पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित था.
'हमारे डीएनए में है सहिष्णुता'
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अवॉर्ड वापसी गांव-गरीब-किसान-अलसंख्यकों के विकास को समर्पित मोदी सरकार के खिलाफ नकारात्मक एजेंडा का हिस्सा था, ताकि देश की तरक्की की राह को बाधित किया जा सके. सहिष्णुता-असहिष्णुता के मुद्दे पर विरोध करने वालों को यह समझना चाहिए सहिष्णुता, भाईचारा, सौहार्द, सद्भाव भारत और यहां के लोगों के डीएनए में है. उसे कोई भी खत्म नहीं कर सकता.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समाज के बौद्धिक वर्ग के लोग, साहित्यकार, कलाकार देश के विकास की धारा को आगे बढ़ाने में मददगार बनें. अगर ये बुद्धिजीवी किसी दुष्प्रचार का हिस्सा बन कर, जाने-अनजाने किसी नकारात्मक एजेंडा से प्रभावित होकर देश के विकास की धारा को रोकने के प्रयासों का हिस्सा बनते हैं तो ये देश की छवि को तो प्रभावित करेगा ही, साथ ही उनको उनकी उपलब्धियों के लिए दिए गए सम्मान की छवि पर भी असर डालेगा.
'सम्मान कलाकार की कला को मान्यता है'
नकवी ने आगे कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कलाकार और साहित्यकार सम्मान या पहचान हासिल करने के उद्देश्य से अपना काम नहीं करते हैं, बल्कि वे तो अपनी कला, अपनी कलम, अपनी क्षमता का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण के लिए करते हैं. लेकिन किसी सरकार या किसी अन्य संस्था द्वारा किसी साहित्यकार या कलाकार को सम्मान दिया जाना उसकी कला को मान्यता देना, उसे सम्मानित करना है.
पाकिस्तान में है भयानक असहिष्णुता
उन्होंने कहा कि असहिष्णुता का भयानक रूप हमें सीरिया, पाकिस्तान और अन्य देशों में देखने को मिल रहा है जहां मासूम बच्चों, नमाज पढ़ते हुए लोगों को गोलियों से भूना जा रहा है. लोगों को कैमरे के सामने गला काटकर मौत के घाट उतारा जा रहा है. स्कूल के मासूम बच्चों का कत्लेआम हो रहा है. भारत में असहिष्णुता का मुद्दा उठाने वालों से मैं ये पूछना चाहता हूं कि उन्हें भारत में कहां इस तरह की घटना दिखाई दे रही है. पिछले साल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद कहीं भी सांप्रदायिक तनाव-उन्माद सफल नहीं हो पाया.
दादरी घटना का किया गया राजनीतिकरण
नकवी ने कहा कि जो कुछ दादरी में हुआ, कर्नाटक में हुआ या फरीदाबाद में हुआ, वह किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन अफसोसनाक, घृणित घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा की. लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने इन घटनाओं का राजनीतिकरण किया और समाज के बिखराव-टकराव का वातावरण बनाने की कोशिश की.
-इनपुट भाषा से
स्वपनल सोनल