J-K में अब तक लगे सातों राज्यपाल शासन में थी सईद की महत्वपूर्ण भूमिका

जम्मू-कश्मीर देश की आजादी के बाद से सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा है और दिलचस्प बात यह है कि इन सभी अवसरों पर मुफ्ती मोहम्मद सईद किसी न किसी तरह से महत्वपूर्ण भूमिका में रहे. अब जब राज्य में सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा है तो वजह बनी है सईद का असमय निधन.

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मुफ्ती मुहम्मद सईद (फाइल फोटो) मुफ्ती मुहम्मद सईद (फाइल फोटो)

आदर्श शुक्ला / BHASHA

  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

जम्मू-कश्मीर देश की आजादी के बाद से सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा है और दिलचस्प बात यह है कि इन सभी अवसरों पर मुफ्ती मोहम्मद सईद किसी न किसी तरह से महत्वपूर्ण भूमिका में रहे. अब जब राज्य में सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा है तो वजह बनी है सईद का असमय निधन.

पिछले दिनों सईद का निधन हुआ जिसके बाद शनिवार को राज्य में सातवीं बार राज्यपाल शासन लगा क्योंकि सहयोगी दलों बीजेपी और पीडीपी ने चार दिनों की शोक की अवधि के दौरान सरकार बनाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. पीडीपी के संरक्षक सईद का बीते गुरूवार को दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया था. जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 को लागू करते हुए राज्यपाल एनएन वोहरा ने शनिवार को राज्यपाल शासन लगा दिया जो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के बाद आठ जनवरी से प्रभावी रहेगा. आइए नजर डालते हैं सईद और राज्यपाल शासन के अनूठे संयोग पर.

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पहली बार: जम्मू-कश्मीर में 26 मार्च, 1977 को पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा था. उस वक्त सईद की अध्यक्षता वाली प्रदेश कांग्रेस इकाई ने शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ 1975 में हुए समझौते के तहत शेख अब्दुल्ला की सरकार बनी थी. पहली बार राज्य में राज्यपाल शासन 105 दिनों तक रहा और यह नेशनल कांफ्रेंस की सत्ता में वापसी के साथ खत्म हुआ.

दूसरी बार: जम्मू-कश्मीर में दूसरी बार राज्यपाल शासन मार्च, 1986 में लगा जब कांग्रेस ने गुलाम मोहम्मद शाह के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया. उस वक्त भी सईद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. इस बार राज्यपाल शासन 246 दिनों तक चला.

तीसरी बार: जम्मू-कश्मीर में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन जनवरी, 1990 में उस वक्त लगा जब फारूक अब्दुल्ला ने जगमोहन को राज्यपाल नियुक्त किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उस वक्त सईद केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे और उन्होंने फारूक अब्दुल्ला के विरोध को दरकिनार करते हुए जगमोहन की नियुक्ति कराई. इस बार 264 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.

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चौथी बार: साल 2002 में उस वक्त चौथी बार राज्यपाल शासन लगा जब विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया और कोई भी पार्टी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी. सईद की पार्टी पीडीपी ने 16 सीटें जीती थीं और उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके साथ ही 15 दिनों का राज्यपाल शासन का अंत हुआ.

पांचवी बार: वर्ष 2008 में राज्यपाल शासन पांचवीं बार उस वक्त लगा जब सईद की पार्टी पीडीपी ने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के मामले को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इस बार 178 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.

छठी बार: राज्य में छठी बार राज्यपाल शासन 2014 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद लगा. इस बार बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई और 51 दिनों के बाद राज्यपाल शासन का अंत हुआ. इस सरकार में सईद मुख्यमंत्री बने. और अब सईद के असमय निधन के बाद राज्य में सातवीं बार राष्ट्रपति शासन लगा है.

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