मदर्स डे स्पेशल: बेटे की आंखों में आंसू देख रो पड़ी 111 साल की मरियम

मुंबई में 111 साल की मरियम उमर सैयद की 5वीं पीढ़ी ने इस बार मदर्स डे को बड़े ही खुशियों के साथ मनाया. इस परिवार की सबसे उम्रदराज मुखिया मरियम की उम्र आज की तारीख में एक सौ ग्यारह साल है. लेकिन अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी के हर एक सदस्य को पहचानती हैं. साथ ही अपने बच्चों को सदा खुश रहने की दुआएं देती हैं.

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aajtak.in

  • मुंबई,
  • 11 मई 2014,
  • अपडेटेड 12:21 AM IST

मुंबई में 111 साल की मरियम उमर सैयद की 5वीं पीढ़ी ने इस बार मदर्स डे को बड़े ही खुशियों के साथ मनाया. इस परिवार की सबसे उम्रदराज मुखिया मरियम की उम्र आज की तारीख में एक सौ ग्यारह साल है. लेकिन अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी के हर एक सदस्य को पहचानती हैं. साथ ही अपने बच्चों को सदा खुश रहने की दुआएं देती हैं.

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उनके चेहरे को देख इस बात का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि उनकी उम्र एक सौ ग्यारह साल है. इस परिवार के लोग बड़े गर्व से मरियम को अपने घर की शान मानते हैं. पूरा परिवार मदर्स डे पर एक साथ उनके पास पहुंच जाता है.

इस साल का मदर्स डे मरियम के लिए कुछ खास है. दरअसल इस साल मरियम को एक सौ ग्यारह साल पूरे हुए हैं. जिसे पूरे परिवार ने मदर्स डे पर धूम धाम के साथ केक काट कर मनाया. बच्चों ने मरियम को ग़ुलाब के फूल दिए. एक सौ ग्यारह साल की मरियम अपने काम को खुद करती है. पूरे खार इलाके में उनकी पहचान सबसे उम्रदराज महिला के तौर पर हैं. लोग हर दिन मरियम को देखने और मिलने के लिए उनके घर आते रहते है. सब मरियम को मां, मरियम या बा कह कर बुलाते है.

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मरियम के पांच बेटे और 6 बेटियां हुई और यह परिवार देखते-देखते सौ के पार पहुंच गया. इनके परिवार में मरियम कोई पहली ऐसी नहीं जो 100 का आंकड़ा पार की है. इनकी मां 107 साल की उम्र में गुजरी, वही मरियम की बड़ी बहन पाकिस्तान में 107 साल तक जीवित रही. मरियम के चाचा 103 साल तक जीवित रहे, यानि इनके परिवार के कई सदस्यों ने सौ का आंकड़ा पार किया. बेटे की आंखों में आंसू आते ही मरियम भी फफक कर रो पड़ी.

भले ही आज बुजुर्गों के प्रति युवाओं की सोच में एक फासला नजर आ रहा हो. लेकिन उनके बीच 5वीं पीढ़ी का अपने मां के प्रति ये प्रेम एक मिसाल से कम नहीं है. यह परिवार एक मिसाल है उन बच्चों के लिए जो अपने मां-बाप को सड़कों पर मरता छोड़ देते हैं या फिर उन्हें हीन भावना से देखते हैं, उन्हें बोझ समझने लगते हैं.

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