मां ने किडनी देने से किया इनकार तो फरिश्ता बनकर आई सास

किसी शायर ने कहा है कि मां का प्यार सबके प्यार से 9 महीने ज्यादा होता है. लेकिन दिल्ली में जब एक मां ने अपनी ही बेटी को मौत के करीब छोड़ दिया, तो ममता की मिसाल बनकर उसकी सास आगे आई.

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Mother in law donates kidney Mother in law donates kidney

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST

किसी शायर ने कहा है कि मां का प्यार सबके प्यार से 9 महीने ज्यादा होता है. लेकिन दिल्ली में जब एक मां ने अपनी ही बेटी को मौत के करीब छोड़ दिया, तो ममता की मिसाल बनकर उसकी सास आगे आई.

सास-बहू के रिश्ते को स्नेह की नई इबारत तक पहुंचाया विमला ने, जिन्होंने बहू की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की.

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दरअसल पटेलनगर की रहने वाली कविता की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं. साल भर से वह दवाइयों पर ही निर्भर थी. हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि कविता के पास सिर्फ डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प था.

ऐन वक्त पर किडनी देने से मुकरी मां
कविता की बिगड़ती हालत को देखकर घर वालों ने किडनी ट्रास्प्लांट कराने का फैसला किया. नियमों के मुताबिक ऐसा शख्स ही किडनी डोनेट कर सकता है जो मरीज के ब्लड रिलेशन में हो. कविता की मां किडनी देने को तैयार हो गईं. लेकिन सबके हाथ-पांव ऑपरेशन से कुछ घंटों पहले कविता की मां ने किडनी देने से मना कर दिया.

'मैंने कहा बेटी घबरा मत, मैं दूंगी किडनी'
लेकिन कुछ ही लम्हों में ये आंसू खुशी के आंसू में बदल गए, क्योंकि मदद के लिए कविता की सास विमला आगे आईं. 60 साल की विमला ने अपनी बहू को किडनी डोनेट की. वह बताती हैं, 'जब बहू की मां ने मना कर दिया तो मैंने कहा बेटी घबरा मत. मैं किडनी दूंगी. मुझे अपनी बहू बहुत प्यारी है. बेटी है मेरी.'

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किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कविता और विमला दोनों ठीक हैं. कविता खुद को बहुत लकी मानती हैं कि उन्हें ऐसी सास मिलीं.

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