आप जेबकतरों की कल्पना करें तो जेहन में शायद एक ऐसे पुरुष की तस्वीर उभरे, जिसके कपड़े बहुत अच्छे नहीं होंगे और जिसकी शातिर आंखें आस-पास मंडराते हुए अपना सही शिकार तलाश रही होंगी.
लेकिन दिल्ली मेट्रो के जेबकतरे थोड़े अलग हैं. इसलिए उनकी पहचान के अपने तरीके को जरा अपडेट कर लीजिए. सीआईएसएफ की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल दिल्ली मेट्रो में जितने जेबकतरे पकड़े गए उनमें 92 फीसदी महिलाएं थीं.
अच्छे पहनावे में होती हैं ऐसी महिलाएं
जून में सबसे ज्यादा 115 महिलाएं जेब काटती हुई धरी गईं. जबकि इस महीने सिर्फ एक पुरुष जेबकतरा पकड़ा गया. अक्टूबर में 26 महिला पिकपॉकेट पकड़ी गईं जबकि कोई पुरुष नहीं पकड़ा गया.
खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर महिलाएं अच्छे कपड़ों में होती हैं. उनके पास लैपटॉप और बैकपैक होता है और वे किसी भी आम यात्री की तरह लगती हैं. इनका पहनावा देखकर शक करना तो लगभग नामुमकिन है. उन्हें रंगे हाथों ही पकड़ा जा सकता है.
पूरा का पूरा गैंग तो सक्रिय नहीं!
सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया, 'उनका कोई खास लुक नहीं होता. वे किसी भी आम और निर्दोष यात्री के रूप में होती हैं. लेकिन आंकड़े साबित करते हैं कि वे इतनी भी निर्दोष नहीं होतीं. बल्कि कुछ तो ब्रांडेड बिजनेस फॉर्मल्स कपड़ों में थीं. उनके पास काम करने का दिखावा करने के लिए कॉन्फ्रेंस बैग और लैपटॉप था.'
सूत्रों की मानें तो इनमें से ज्यादातर महिलाएं गैंग के रूप में काम करती हैं और भीड़-भाड़ के समय में ग्रुप बनाकर मेट्रो में चढ़ती हैं. दिल्ली मेट्रो रेल पुलिस (डीएमआरपी) ने 21 महिलाओं के एक ऐसे गैंग को गिरफ्तार किया है.
सीआईएसएफ अधिकारी ने बताया कि डीएमआरसी सिक्युरिटी फोर्स और दिल्ली पुलिस ने सभी मेट्रो स्टेशनों को संदिग्ध महिलाओं की तस्वीरें भेजी हैं और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं. ताकि उनमें से कोई दोबारा किसी मेट्रो स्टेशन पर दिखे तो उन्हें तुरंत पूछताछ के लिए रोका जा सके.
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