भारत में शाकाहारी लोगों की संख्या ज्यादा है लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि देश में दूध बनाने वाली फैक्ट्रियों और प्लांट से ज्यादा संख्या कसाईखानों की है. भारत में 1,623 रजिस्टर्ड कसाई खाने हैं जबकि 213 रजिस्टर्ड मिल्क प्रोसेसिंग फैक्ट्रियां और 793 लिक्विड मिल्क प्लांट हैं.
आरटीआई से मिली जानकारी
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय मंत्रालय के तहत आने वाले पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने एक आरटीआई के जवाब में ये जानकारी दी है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि महाराष्ट्र में कसाईखानों की संख्या सबसे ज्यादा 316 है, जहां पिछले साल मीट बैन को लेकर काफी विवाद हुआ था. इसके बाद उत्तर प्रदेश(285) और तमिलनाडु(130) हैं.
भारत की मीट इंडस्ट्री में जिंदा जानवरों और भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, बैल, मुर्गी एवं गायों की मांस का व्यापार होता है. हिन्दू धर्म में गाय के महत्व की वजह से हाल ही में देश में गौ हत्या को लेकर जमकर राजनीति हुई थी. पिछले साल गाय का मांस खाने की अफवाह के बाद एक बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या तक कर दी गई थी.
राजनीतिक पार्टियों ने भुनाया
नेतओंं ने इस मुद्दे पर जमकर राजनीति की. बीजेपी ने भी हिन्दुओं की भावनाओं का हवाला देते हुए इस मामले को खूब भुनाया और बिहार चुनाव में उसे अहम मुद्दा तक बना डाला.
गौहत्या पर अलग नियम
भारत में 29 में से 24 राज्यों में गौहत्या और गाय की बिक्री को लेकर अलग-अलग नियम हैं. केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम ऐसे राज्य हैं, जहां गौहत्या पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है. इन राज्यों में कुछ ही कसाईखानों पर कानूनी तौर पर गौहत्या होती है. केरल में इन बूचड़खानों की संख्या 55, पश्चिम बंगाल में 11, सिक्किम में 4 और मिजोरम में 2 है.
आरटीआई से जानकारी हासिल करने वाले रमेश वर्मा ने कहा, 'ये बहुत हैरान करने वाली बात है कि देश में मीट उत्पादन यूनिट, दूध उत्पादन यूनिट से ज्यादा हैं. लगता है कि सरकार कसाईखानों को ज्यादा लाईसेंस और मिल्क प्रोडक्शन यूनिट को कम लाईसेंस देने में दिलचस्पी रखती है.'
नीतू चन्द्रा / मोनिका शर्मा