झारखंड में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद क्या विधानसभा चुनाव में भी चलेगा मोदी मैजिक ?

झारखंड में भाजपा और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू के गठबंधन को शानदार जीत मिली. कुल 14 में से 12 सीटों पर इस गठबंधन को जीत हासिल हुई. एनडीए की झारखंड में प्रचंड जीत के बाद विपक्ष के लिए आगामी विधानसभआ चुनाव में इनसे मुकाबला करना बड़ी चुनौती होगी.

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पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • रांची,
  • 04 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

भाजपा और झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के गठबंधन ने झारखंड में विपक्ष की सभी रणनीतियों को ध्वस्त कर दिया. यहां 14 में से 12 सीट जीतने का मतलब है कि प्रदेश की जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को पूरी तरीके से स्वीकार कर लिया है और भाजपा के समर्थन में खुलकर मतदान किया. झारखंड में भाजपा और आजसू के गठबंधन को 55 फीसदी वोट मिले हैं. भाजपा की ये जीत इसलिए भी और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसी साल झारखंड में विधान सभा चुनाव होने हैं. आपको बता दें कि 2014 में इनका गठबंधन नहीं था और ऑल स्टूडेंट्स यूनियन ने अलग चुनाव लड़ा था. लेकिन तब भी एनडीए को 12 सीटें हासिल हुई थीं.

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झारखंड में यूपीए के वोट प्रतिशत में इजाफा जरूर हुआ है जो कि 15 फीसदी से ज्यादा है. लेकिन कांग्रेस को सीट के रूप में कुछ ज्यादा हासिल नहीं हुआ और मात्र एक सीट पर जीत मिली. यहां मोदी मैजिक के सामने किसी भी विपक्षी दल की कोई भी रणनीति कामयाब नहीं हुई. भाजपा को अकेले 11 सीटों पर जीत मिली, जबकि इसके सहयोगी आजसू को एक सीट मिली. लेकिन इनका वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है.

2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत अकेले 40.71 फीसदी था और उसे 12 सीटों पर जीत मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में 11 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ गया. लेकिन अगर बात की जाए आजसू के साथ गठबंधन की तो दोनों के वोट प्रतिशत में 15 फीसदी का इजाफा हुआ. जातीय समीकरण और विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे बेकार साबित हुए. वोटरों ने सभी मुद्दों को नकारते हुए मोदी के पक्ष में मतदान किया. यहां तक कि झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो के शिबू सोरेन भी मोदी की सुनामी में बह गए और उनकी करारी हार हुई. इससे साफ जाहिर हुआ कि जनता ने सिर्फ और सिर्फ विकास के नाम पर मोदी के समर्थन में मतदान किया. 

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विधान सभा चुनाव में कैसी होगी रणनीति

झारखंड के लोकसभा चुनाव के नतीजे ने विपक्ष को नए सिरे से मंथन करने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को अगर विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करना है तो हार की समीक्षा कर नई रणनीति बनानी होगी. लेकिन समस्या यह है कि उनके पास समय कम बच रहा है. 2014 के चुनाव में भाजपा ने अपने बल बूते पर शानदार जीत दर्ज की थी. साथ ही विधानसभा चुनाव में भी सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी. चुनाव के बाद रघुवर दास मुख्यमंत्री बने और अच्छी सरकार चलाई. इसका लाभ भी भाजपा को लोकसभा चुनावों में मिला. लोकसभा चुनाव के परिणाम ने पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ताकत और जोश भर दिया है. जीत के बाद आत्मबल से लबरेज मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अधिकारियों को साफ-साफ हिदायत दी है कि विकास की सभी योजनाओं का लाभ गरीब और ग्रामीण जनता तक पहुंचना चाहिए. सरकार चाहती है कि चार महीने के अंदर सभी योजनाएं का लाभ जनता तक पहुंचाया जाए और लक्ष्य पूरा किया जाए. इसके लिए अधिकारियों की छुट्टी तक रद्द कर दी गई है और उऩ्हें पूरी ताकत के साथ काम करने को कहा गया है. साथ ही मोदी मैजिक का लाभ भी रघुवर सरकार उठाना चाहती है, जिससे वो आसानी से प्रदेश में दूसरी बार सरकार बना सके.

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प्रदेश में वोटरों की संख्या में हुआ इजाफा, देखें पूरा आंकड़ा

लोकसभा चुनाव 2014 में 1.99 करोड़ वोटर थे जबकि 2019 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2.19 करोड़ हो गई. कुल 20 लाख वोटरों की संख्या में इजाफा हुआ. 2014 में नए वोटरों यानी 18-19 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 9 लाख थी. 2019 में 1.4 लाख युवा वोटरों की संख्या बढ़ गई. 2019 में पुरुष वोटरों की संख्या 1.15 करोड़ थी जबकि महिला वोटरों की संख्या 1.04 करोड़. इसी तरह 2019 में 47 लाख मुस्लिम, 14 लाख ईसाई, 76 हजार सिख वोटर हैं. झारखंड में कुल मतदाताओं का 22 फीसदी जनजातीय और 27 फीसदी ओबीसी वोटर हैं. इनमें से सभी वर्ग के मतदाताओं ने चौकाते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान किया.

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