भूमि अधिग्रहण पर नया अध्यादेश ला सकती है मोदी सरकार

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को भूमि अधिग्रहण पर नया अध्यादेश जारी करने के संकेत दिए. मौजूदा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की अवधि 6 अप्रैल को समाप्त हो रही है और संसद सत्र 20 अप्रैल से दोबारा शुरू होना है.'

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केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को भूमि अधिग्रहण पर नया अध्यादेश जारी करने के संकेत दिए. मौजूदा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की अवधि 6 अप्रैल को समाप्त हो रही है और संसद सत्र 20 अप्रैल से दोबारा शुरू होना है.'

नायूड ने कहा, 'विकल्प और रणनीति के खुलासे नहीं किए जाते हैं, लेकिन आप हमसे ज्यादा बेहतर जानते हैं.' उन्होंने संसद में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की उस टिप्पणी की ओर इशारा किया, जिसमें आजाद ने कहा था कि सरकार अध्यादेश को दोबारा जारी कर सकती है. लोकसभा में 11 मार्च को भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे का अधिकार और पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुर्नस्थापना (संशोधन) विधेयक 2015 को पारित हो चुका है.'

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यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश होगा, जहां विपक्षी दलों का बहुमत है. इस विधेयक को 20 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद सत्र के दूसरे चरण में ऊपरी सदन में पेश किए जाने की संभावना है. नायडू ने कहा कि सरकार जानती थी कि अगर अध्यादेश 6 अप्रैल तक विधेयक के रूप में पारित नहीं हुआ तो यह बेकार हो जाएगा. हमने इसे ध्यान में रखा और अब उचित कदम उठाए जाएंगे.' उन्होंने सरकार के सामने मौजूद कई विकल्पों का जिक्र किया. इन विकल्पों में राज्यसभा में विधेयक के पारित नहीं होने की स्थिति में संसद के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुला कर विधेयक को पारित कराना भी शामिल है.'

नायडू ने बताया, 'संविधान के मुताबिक सरकार अध्यादेश जारी कर सकती है और अगर यह बेकार हो जाता है तो वह एक और अध्यादेश भी जारी कर सकती है. राज्यसभा में विधेयक खारिज किए जाने पर संसद का संयुक्त सत्र बुला कर विधेयक को पारित कराया जा सकता है. कुछ पार्टियां अपना पक्ष बदल लेती हैं. अच्छे सुझावों के आने पर सरकार भी अध्यादेश में कुछ बदलाव कर सकती है. देश को विकास के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि सरकार बहस के लिए तैयार है, लेकिन औचित्य के आधार पर एक राष्ट्रीय बहस हो. आंख बंद कर विधेयक का विरोध करने के बजाए रचनात्मक तर्क दिए जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा में चर्चा के दौरान विधेयक में पहले ही नौ संशोधन हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आश्वासन दिया था कि अगर विधेयक में कोई खामी है तो उसमें सुधार किए जा सकते हैं.'

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-इनपुट IANS से

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