मोदी हिट, अलगाववादी फ्लॉप: कश्‍मीर मसले में घरेलू मोर्चे पर भी जबर रहे PM

कश्मीर में ताजा हिंसा का दौर जब शुरू हुआ तो केंद्र और राज्य सरकार ने अलगाववादी खेमे के साथ कुछ खास मजहबी संगठन के उलेमाओं से संपर्क बनाना शुरू किया. हालांकि उनकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई. बावजूद इसके केंद्र सरकार की कोशिशें जारी रहीं.

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कश्मीर हिंसा कश्मीर हिंसा

सुरभि गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

कश्मीर मसले पर श्रीनगर से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है. बुधवार को राजधानी में हुई सर्वदलीय बैठक में घाटी में सेना की तैनाती का मुद्दा उठा. कुछ दलों ने माना कि मौजूदा हालात से निपटने में महबूबा मुफ्ती की सरकार नाकाम रही है. इन सब के बीच कश्मीर के अलगाववादियों का असली चेहरा उजागर हो गया है. केंद्र सरकार ने हाल में कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए जो कदम उठाए, उससे लगता है कि न सिर्फ मोदी सरकार की विदेश नीति में बदलाव आया है बल्कि घरेलू समस्याएं सुलझाने में भी उन्होंने उम्दा प्रदर्शन किया है.

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8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में दो महीने से अशांति है. इस दौरान 75 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जबकि हजारों घायल हुए हैं. हिंसा की आंच शुरुआती दिनों में तेज रही. अमरनाथ यात्रा भी चल रही थी. सीमापार से घुसपैठ की बढ़ रही घटनाएं भी बड़ी चुनौती रही. इन सभी दिक्कतों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए. सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती की गई. हिंसा की आग में घी डालने वाले अलगाववादियों को नजरबंद कर लिया गया. कर्फ्यू लगाने पड़े. पड़ोसी पाकिस्तान भी रह-रहकर कश्मीर में माहौल बिगाड़ने के लिए चालें चल रहा था. उसका भी माकूल जवाब दिया गया. स्थ‍िति सामान्य हुई, तो बातचीत का दौर शुरू हुआ है.

पीएम ने मंत्रियों की लगाई ड्यूटी
कश्मीर में हिंसा का ताजा दौर शुरू हुआ, तो विपक्षी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की सत्तारूढ़ पीडीपी-बीजेपी सरकार पर हालात से निपटने में नाकाम रहने के आरोप लगाए. 12 जुलाई को विदेश दौरे से लौटे पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के हालात की समीक्षा की और शांति की अपील की. उन्होंने केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को महबूबा मुफ्ती सरकार के साथ मिलकर काम करने को कहा. 12 अगस्त को पीएम ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें कश्मीर के हालात पर चर्चा हुई.

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एमपी की धरती से कश्मीर के लिए संदेश
पीएम मोदी 9 अगस्त को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में एक कार्यक्रम में शरीक होने गए. पीएम वहां से कश्मीर के हालात पर बोले. उन्होंने कहा कि कश्मीरी बच्चों के हाथ में लैपटॉप की जगह पत्थर देखकर पीड़ा होती है. पीएम ने कहा कि कश्मीर की जनता शांति चाहती है और केंद्र सरकार कश्मीर को हरसंभव मदद देने के लिए तैयार है.

महीने भर में राजनाथ के दो दौरे
कश्मीर में हालात खराब होने लगे, तो केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी प्रस्तावित अमेरिकी यात्रा स्थगित कर दी. पीएम मोदी के दूत के तौर पर राजनाथ महीने भर के भीतर दो बार जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए. घाटी में हिंसा भड़कने के बाद पहली बार 23 जुलाई को राजनाथ कश्मीर दौरे पर गए, जहां वो विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, सिविल सोसायटी के सदस्यों सहित तमाम स्थानीय प्रतिनिधि‍मंडल से मिले. उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था का भी जायजा लिया. इसके ठीक एक महीने बाद राजनाथ सिंह फिर से कश्मीर गए. इससे घाटी में संदेश गया कि केंद्र सरकार कश्मीर के हालात को लेकर गंभीर है.

पाकिस्तान को करारा जवाब
संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ, तो कश्मीर हिंसा की आग में झुलस रहा था. कश्मीर के हालात का फायदा उठाने में जुटे पाकिस्तान को भारत ने करारा जवाब दिया. केंद्र सरकार ने सभी दलों को विश्वास में लिया. भारतीय संसद में कश्मीर मसले पर एकजुटता दिखी. हालांकि, कुछ दलों ने हालात से निपटने के तरीके पर सवाल उठाए. लेकिन सभी दलों ने एक सुर से कश्मीर में पाकिस्तानी दखल की निंदा की.

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मन की बात में कश्मीर का जिक्र
पीएम मोदी ने 'मन की बात' में कश्मीर मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के एक साथ होने की बात कही. साथ ही उन्होंने हिंसा भड़काने वालों को चेताया कि कभी न कभी उन्हें उन मासूम लड़कों को जवाब देना होगा, जिन्हें वह भटका रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के विपक्ष के डेलिगेशन से मुलाकात के दौरान मोदी ने मौजूदा हालात पर चिंता जताई. उन्होंने संविधान के दायरे में वार्ता से समस्या का स्थायी हल ढूंढने की जरूरत बताई.

अलगाववादियों से बातचीत की पहल
कश्मीर में ताजा हिंसा का दौर जब शुरू हुआ तो केंद्र और राज्य सरकार ने अलगाववादी खेमे के साथ कुछ खास मजहबी संगठन के उलेमाओं से संपर्क बनाना शुरू किया. हालांकि उनकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई. बावजूद इसके केंद्र सरकार की कोशिशें जारी रहीं. राजनाथ सिंह सवर्दलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए. हालांकि, श्रीनगर में अलगाववादी नेताओं ने केंद्र की ओर से गए प्रतिनिधिमंडल से मिलने से ही इनकार कर दिया. बावजूद इसके केंद्र सरकार का मानना है कि कश्मीर पर होने वाली बात में सभी संबंधित पक्षों को शामिल किया जाना जरूरी है.

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