दूर है मंजिल, राहें मुश्किल/आलम है तन्हाई का
उनकी शख्सियत को सबसे ज्यादा गढऩे वाला पहलू बेगम अख्तर का संगीत ही था. वहीं उनके संगीत को उनकी जिंदगी के सफर ने गढा था. इतना ज्यादा कि उनकी जिंदगी और संगीत को अलग कर पाना मुमकिन नहीं है. उनका सफर किशोरवय में लखनऊ में एक कोठे से शुरू हुआ था, जिसे उनकी वालिदा मुश्तरी बाई ने कायम किया था जो खुद भी तवायफ थीं. अख्तरी ने बहुत कम वक्त में अपने दम पर कलाकार का दर्जा हासिल कर लिया. उनकी महफिलों में बहुत इज्जतदार जाने-माने लोगों को ही आने की इजाजत थी.
मेगाफोन के बैनर तले उनका 78 आरएमपी रिकॉर्डिंग का एक नंबर आया और देखते ही देखते वे पूरे उत्तर भारत में लोकप्रिय हो गईं. बहुत कम उम्र में ही वे अपने करियर के कई रचनात्मक दौर से गुजरीं. इसमें 1920 के दशक में कलकत्ता में रंगमंच पर अदाकारी भी शामिल है. उन्होंने ज्यादातर 'वैम्प' के किरदार अदा किए ('काले मखमली पश्चिमी परिधान में और लंबे काले होल्डर के साथ सिगरेट पीती हुई'). उन्होंने कुछ वन्न्त फिल्मों में भी अदाकारी की और गाने गाए (सबसे ज्यादा उन्हें महज एक ठुमरी के लिए याद किया जाता है जो उन्होंने सत्यजित राय की जलसाघर में गाई थी). सामाजिक स्वीकृति की तलाश में और 'मुख्यधारा की गृहणी' की शादीशुदा जिंदगी की तमन्ना में वे 'अच्छी अम्मी' बनीं और फिर आखिरकार बेगम बनीं जिसने दशकों तक गजल गायकी की दुनिया पर हुकूमत की.
इन सारे बदलावों से गुजरते हुए तकलीफ और उदासी उनकी जिंदगी के साथ लगातार वाबस्ता रही. उनके मुश्किल बचपन के साथ जो चीज शुरू हुई थी, वह बाद के सालों में आदत बन गई. इस हद तक कि उनके मुरीदों की जुबानी अगर गम और उदासी न हो तो वे बेचैन महसूस करने लगती थीं. शायद यही वजह थी कि उन्होंने संगीत की अभिव्यक्ति के अपने चुने हुए फन के लिए जिस शायरी को चुना, वह गजल थी. इस फन को उन्होंने एक नई आवाज दी, एक ऐसी संगीतात्मकता जो उनकी अपनी और अनूठी थी, जिसे बाद के वर्षों में कई दूसरों ने अपनाया.
उस जमाने के मशहूर उर्दू शायरों में जिगर मुरादाबादी, कैफी आजमी और शकील बदायूंनी—ने उनके लिए लिखा और उनमें से कइयों के साथ उनकी करीबी दोस्ती रही. हालांकि जाने-माने बैरिस्टर इश्तियाक अहमद अब्बासी के साथ उनका निकाह उनकी सार्वजनिक गायकी पर कई पाबंदियां लेकर आया, मगर दूसरी तरफ इसी की वजह से वे उर्दू शायरी के और करीब आ गईं. अलबत्ता इसकी कुछ वजह उनकी विद्वता भी थी.
(लेखिका म्यूजीशियन हैं)
सरोज कुमार