मुंबई: मजदूर को 48 घंटे तक खाने के लिए इंतजार करवाता रहा हेल्पलाइन नंबर

शिवचंद्र और उसके साथियों ने पहला कॉल करने के 24 घंटे बाद बीएमसी के हेल्पलाइन पर फिर कॉल किया. फोन उठाने वाले शख्स ने जो जवाब दिया वो इस बीएमसी की इस हेल्पलाइन की गंभीरता को बताने के लिए काफी था. फोन उठाने वाले शख्स ने कहा कि चूंकि आज रविवार था इसलिए खाना नहीं भेजा जा सका, लेकिन अब निश्चित रूप से उन्हें खाना भेजा जा रहा है.

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मुंबई के आरे में खटाल में मौजूद शिवचंद्र (फोटो- विद्या) मुंबई के आरे में खटाल में मौजूद शिवचंद्र (फोटो- विद्या)

विद्या

  • मुंबई,
  • 14 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

  • मुंबई में भूख से तड़प रहे प्रवासी मजदूर
  • 48 घंटे तक हेल्पलाइन नंबर से नहीं मिला खाना
  • आखिरकार खिचड़ी का मिला भरोसा

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले शिवचंद्र पेशे से लेबर हैं और मुंबई में ऊंची-ऊंची इमारतें बनाते हैं. लेकिन लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी पर फुलस्टॉप लगा दिया है. मुंबई में वो जो कुछ कमाते थे उसका ज्यादातर हिस्सा घर भेज देते थे, अपने हिस्से बस जिंदगी काटने लायक खर्चा रखते थे.

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लॉकडाउन के 21 दिन गुजर चुके हैं अब उनके पास चावल-दाल खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे हैं. मुंबई के आरे कॉलोनी में वे एक खटाल में रहते हैं, यहां पर अब उनका पूरा दिन खाने का इंतजाम करने में और घर की चिंता में गुजरता है.

भोजन के लिए रविवार को किया कॉल

इस शख्स की मजबूरी को देखते हुए इंडिया टुडे ने इसे खाने के लिए बीएमसी के हेल्पलाइन नंबर 1800221292 पर कॉल करने को कहा. फोन रिसीव करने वाले शख्स ने शिवचंद्र का पता लिया और उन्हें कहा कि रविवार शाम या फिर सोमवार सुबह तक उन्हें खाना मिल जाएगा.

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भूखे शिवचंद्र अपने साथियों के साथ खाना लेकर आने वाले उस मसीहा का इंतजार करते रहे, लेकिन उनकी प्रतीक्षा लंबी होने वाली थी. शिवचंद्र यहां पर कुछ और लोगों के साथ रहते हैं, जो खटाल में काम करते हैं. शिवचंद्र कहते हैं कि उन्हें 3 से 4 किलोमीटर तक तो पैदल चलना पड़ता है ताकि अनाज खरीदा जा सके. वहां भी दुकानदार ऊंची कीमतों में सामान बेच रहा है.

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पूरा सोमवार इंतजार करते रहे

इस खटाल में लगभग 80 लोग रहते हैं. कमोबेश सबकी हालत एक जैसी है. अशोक यादव जोगेश्वरी में सेल्समैन का काम करते हैं. सोमवार को अशोक और शिवचंद्र दिन भर खाना आने का इंतजार करते रहे, लेकिन उनका इंतजार अधूरा रहा. आखिरकार उनके पास जो कुछ राशन बचा था उसे उन्होंने बनाया और आपस में बांट कर आधा-आधा पेट खा लिया.

24 घंटे बाद बीएमसी को फिर कॉल

शिवचंद्र और उनके साथियों ने पहला कॉल करने के 24 घंटे बाद बीएमसी के हेल्पलाइन पर फिर कॉल किया. फोन उठाने वाले शख्स ने जो जवाब दिया वो इस बीएमसी की इस हेल्पलाइन की गंभीरता को बताने के लिए काफी था. फोन उठाने वाले शख्स ने कहा, "चूंकि आज रविवार था इसलिए खाना नहीं भेजा जा सका, लेकिन अब निश्चित रूप से उन्हें खाना भेजा जा रहा है."

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इसके बाद इंडिया टुडे ने पहले वाले हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया. इसके बाद हमें एक ऐसे अधिकारी का नंबर मिला जो आरे इलाके में पोस्टेड ही नहीं था, हालांकि इस अधिकारी ने उस ऑफिसर का नंबर दिया जो इस इलाके में खाना सप्लाई का इंजार्ज है.

48 घंटे बाद मंगलवार को इंतजार

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मंगलवार को शिवचंद्र को कॉल किए दो दिन गुजर चुके थे लेकिन उसे अबतक खाना नहीं पहुंचा था. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा कर दी है. इसके बाद शिवचंद्र और भी चिंतित हो गए हैं. उन्होंने कहा, "हम दो दिनों से खाने का इंतजार कर रहे हैं, अभी तक नहीं पहुंचा है, अब लॉकडाउन भी बढ़ गया है, हम कैसे जिंदा रहेंगे."

आखिरकार मिला खिचड़ी का भरोसा

इंडिया टुडे ने एक बार उस ऑफिसर से फिर संपर्क किया, जिससे पहले बात हुई थी. यहां से हमें एक गैर सरकारी एजेंसी का नंबर मिला जो इस इलाके में खाने की सप्लाई में सरकारी एजेंसियों की मदद कर रही थी. इस शख्स ने कहा कि अनाज का जुगाड़ करने में तो 3 से 4 दिन लग जाएंगे, लेकिन अभी वो उन्हें खिचड़ी दे सकते हैं. शिवचंद्र अब अपने साथियों के साथ खिचड़ी का इंतजार कर रहे हैं.

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