हेग में दिखा पुलवामा का असर, भारत ने पाकिस्तानी राजनयिक से हाथ मिलाने से किया इनकार

कुलभूषण जाधव के मामले में हेग की अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में पहले दिन की सुनवाई पूरी हो गई. चार दिनों तक चलने वाली इस जिरह में भारत का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब किया.

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आईसीजे में कुलभूषण जाधव पर पहले दिन की सुनवाई पूरी आईसीजे में कुलभूषण जाधव पर पहले दिन की सुनवाई पूरी

गीता मोहन

  • हेग,
  • 18 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में चार दिनों तक चलने वाली सुनवाई आज (सोमवार) से हेग में शुरू हो गई. इस दौरान पुलवामा आतंकी हमले के चलते भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का असर कोर्ट में भी दिखा. जब भारतीय विदेश मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपक मित्तल ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया.

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दरअसल, आईसीजे में बहस से पहले दोनों देशों के प्रतिनिधि एक दूसरे से मिल रहे थे. तब पाकिस्तान के एजी अनवर मंसूर खान ने भारतीय राजनयिक दीपक मित्तल की तरफ हाथ बढ़ाया, लेकिन मित्तल ने हाथ न मिलाते हुए उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में 18 फरवरी से शुरू होने वाली सुनवाई 21 फरवरी तक जारी रहेगी. इस सुनवाई में भारत का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे हैं, जबकि ख्वार कुरैशी पाकिस्तान का पक्ष रखने पहुंचे हैं.

भारत की तरफ से जिरह की शुरुआत करते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले में कुलभूषण जाधव द्वारा 13 बार गुजारिश के बावजूद काउंसलर एक्सेस नही दिया, जो कि वियना संधि का उल्लंघन है. इसके साथ ही साल्वे ने जाधव को निर्दोष बताया जिसे फंसाने के लिए पाकिस्तान प्रोपेगेंडा चला रहा है. हरीश साल्वे ने वियना संधि की व्याख्या करते हुए तमाम धाराओं का जिक्र करते हुए कहा कि बिना काउंसलर एक्सेस जाधव की गिरफ्तारी को गैर कानूनी घोषित किया जाना चाहिए.

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हरीश साल्वे से पहले भारत की तरफ से पेश हुए दीपक मित्तल ने कहा कि आईसीजे के फैसले से सवा सौ करोड़ भारतीयों में उम्मीद जगी थी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने एक निर्दोष भारतीय नागरिक के अधिकारों हनन करके आईसीजे के ऑर्डल का ठीक से पालन नहीं किया.

कुलभूषण जाधव को काउंसल एक्सेस न देने के पीछे पाकिस्तान का तर्क है कि दोनों देशों के बीच हुए द्वीपक्षीय समझौते के तहत जासूसी के मामले में काउंसलर एक्सेस का प्रवधान नहीं है. लेकिन हरीश साल्वे ने कहा कि वियना संधि को ड्राफ्ट करने वालों की कभी यह मंशा नहीं कि जासूसी के केस में अनुच्छेद 36 लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि दो देशों के बीच हुआ द्वीपक्षीय समझौता वियना संधि के अनुच्छेद 36 को संशोधित नहीं कर सकता.

गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोपों में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ भारत ने मई 2017 में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था. पाकिस्तान लगातार जाधव को काउंसलर एक्सेस देने से इनकार करता रहा है. जो अंतरराष्ट्रीय राजनयिक रिश्तों से संबंधित 1963 की वियना संधि का उल्लंघन है.

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