मणिपुर सरकार से इस्तीफा देने वाले NPP के मंत्रियों को मनाने में जुटी बीजेपी, लाए गए दिल्ली

नॉर्थ ईस्‍ट डेमोक्रेटिक अलाएंस (NEDA) के संयोजक हेमंत बिस्वा सरमा के साथ पहले दौर की बातचीत के दौरान एनपीपी के नेता राज्य सरकार के नेतृत्व में बदलाव की अपनी मांग पर अड़े रहे.

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हेमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो- PTI) हेमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 8:04 AM IST

  • मणिपुर में जारी है सियासी संकट
  • NPP के विधायकों को मनाने में जुटी BJP

मणिपुर में सियासी संकट जारी है. राज्य की एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूरा जोर लगा रही है. पार्टी के लिए इस समय संकटमोचन का काम हेमंत बिस्वा सरमा कर रहे हैं. वह सरकार से इस्तीफा देने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी के 4 मंत्रियों को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चारों विधायकों की मुलाकात बीजेपी नेतृत्व से कराई जाएगी, जिससे कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में स्थिति को सामान्य किया जाए.

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नॉर्थ ईस्‍ट डेमोक्रेटिक अलाएंस (NEDA) के संयोजक हेमंत बिस्वा सरमा के साथ पहले दौर की बातचीत के दौरान एनपीपी के नेता राज्य सरकार के नेतृत्व में बदलाव की अपनी मांग पर अड़े रहे.

ये भी पढ़ें- मणिपुर में मुश्किल में भाजपा, राज्यसभा चुनाव में जीत से क्या अब बच जाएगी सरकार?

हेमंत बिस्वा सरमा सरकार बचाने में जुटे

पूर्वोत्तर में भगवा पार्टी के संकटमोचक हेमंत बिस्वा सरमा एक विशेष विमान से एनपीपी के चारों नेताओं को दिल्ली लेकर आए हैं. बीजेपी के एक नेता ने कहा कि इम्फाल में बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली जाने की आवश्यकता थी.

मंगलवार को दिल्ली रवाना होने से पहले हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सब कुछ बहुत जल्दी सही हो जाएगा. बता दें कि उप मुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह, बीजेपी के तीन बागी विधायक, तृणमूल कांग्रेस का एक और एक निर्दलीय के अलावा एनपीपी के कोटे से चार मंत्रियों के इस्तीफे के बाद एन बीरेन सिंह सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

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कांग्रेस ने भी बनाया गठबंधन

चूंकि विधानसभा में एनपीपी के केवल चार विधायक हैं, इसलिए पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. उधर, कांग्रेस ने इन नौ विधायकों को अपने पक्ष में ले लिया है और सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट नाम से एक गठबंधन बना लिया है.

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोइरंगथेम ओकेंद्र ने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि एनपीपी के चार नेता बीजेपी के दबाव में नहीं झुकेंगे और राज्य में एसपीएफ सरकार की बनेगी.

एनपीपी के विधायकों का बीजेपी पर दबाव

इससे पहले हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा एक विशेष विमान से इम्फाल पहुंचे और एल जयंतकुमार के फार्म हाउस में चारों नेताओं से मुलाकात की. एल जयंतकुमार इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी नेता ने उनसे अपना फैसला बदलने के लिए अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि राज्य सरकार के नेतृत्व को बदलना होगा. चारों नेताओं के साथ सरमा और संगमा की ये दूसरी बैठक थी. इससे पहले रविवार को भी मुलाकात हुई थी.

जयंतकुमार के फार्म हाउस से निकलकर सरमा मुख्यमंत्री से मिलने गए, लेकिन इस बैठक में क्या हुआ, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है. हेमंत सरमा ने इसके अलावा बीजेपी के कई विधायकों से भी मुलाकात की.

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दिनभर बैठकों के दौर के बाद वह मंगलवार को एनपीपी के चारों नेताओं के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए. एनपीपी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष थांगमिन्लियन किपगेन ने सोमवार को कहा था कि संकट का समाधान हो सकता है, अगर गठबंधन के नेतृत्व का रवैया सहयोगियों के प्रति बदल जाए.

बता दें कि किपगेन 18 जून को राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से मुलाकात करने वाले एसपीएफ प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जल्द ही एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया था.

'फ्लोर टेस्ट में भी जीतेंगे'

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष एस टिकेंद्र सिंह ने विश्वास जताया है कि यदि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी आसानी से जीत जाएगी. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार लिसेम्बा संजाओबा की जीत के बाद पार्टी ने दावा किया कि मणिपुर में चीजें नियंत्रण में हैं.

60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल सदस्यों की संख्या 59 है. बीजेपी के पास 23 विधायकों का समर्थन है. इसमें से 18 बीजेपी, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और एक एलजेपी का विधायक है. उधर, कांग्रेस ने दावा किया कि एसपीएफ के पास 29 विधायकों का समर्थन है. इसमें से कांग्रेस के 20, एनपीपी के चार, बीजेपी के तीन बागी, टीएमसी का एक और एक निर्दलीय विधायत है.

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