राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की लिस्ट पर एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐतराज जताया है. ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा. जो यहां के स्थाई निवासी हैं, उन्हें कोई बाहर नहीं निकाल सकेगा. किसी भी आजाद देश में लोगों की आजादी कोई कैसे कोई छीन सकता है?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को एनआरसी के मामले में अब तक 6 लोगों के जान गंवाए जाने पर कहाथा, 'मैं एनआरसी पैनिक के कारण अब तक 6 लोगो की हुई मौत से बेहद दुखी हूं. हम अपने यहां एनआरसी लागू नहीं होंगे देंगे. मुझ पर विश्वास बनाए रखिए.'
ममता बनर्जी ने बीते गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह से उनके नॉर्थ ब्लॉक चैंबर में मुलाकात की और एनआरसी पर सवाल उठाए, जिसका मकसद वास्तविक भारतीय नागरिकों की पहचान करना है. यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम बंगाल में एनआरसी का मुद्दा उनकी चर्चा का हिस्सा था, ममता ने कहा, "उन्होंने (शाह ने) बंगाल में एनआरसी पर कुछ नहीं कहा. मैंने अपना पक्ष स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी की जरूरत नहीं है."
ममता बनर्जी ने मीडिया से कहा, "मैंने उन्हें एक पत्र दिया है. मैंने उन्हें बताया कि असम में एनआरसी से 19 लाख लोग बाहर रह गए हैं, जिनमें से कई हिदीभाषी, बांग्लाभाषी और असम के स्थानीय लोग हैं." उन्होंने कहा, "कई वास्तविक मतदाता इस सूची से बाहर रह गए हैं, इसे देखा जाना चाहिए. मैंने एक आधिकारिक पत्र सौंपा है."
तृणमूल कांग्रेस ने शुरुआत से ही एनआरसी का विरोध किया है और इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर भी उतरी है. बीजेपी की प्रदेश इकाई ने हालांकि असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी होने के बाद बंगाल में भी इसे लागू करने की मांग की है.
इंद्रजीत कुंडू